भोपाल । भले ही महाराष्ट्र के अल्फांसो को सबसे महंगे आम के तौर पर देखा जाता है। लेकिन हकीकत तो यह है कि मध्यप्रदेश का एक आम तीन लाख रुपये किलो तक में बिकता है। इतना ही नहीं एक आम ही डेढ़ किलो तक होता है। बात हो रही है मियाजाकी की, जिसे जापान में सूर्य का अंडा भी कहते हैं। बता दें कि भारत में करीब 1,500 किस्म का आम होता है। इनमें कुछ बेहद लोकप्रिय हैं और आम लोगों की जुबान पर चढ़े हैं। अल्फांसो, बॉम्बे ग्रीन, चौसा दशहरा, लंगड़ा, केसर, नीलम, तोतापरी मालदा, सिंदूरी, बादामी, हापुस, नूरजहां, कोह-ए-तूर के नाम अक्सर लोग लेते हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के आमों का जिक्र ही खास है। मध्यप्रदेश में मैंगो टूरिज्म भी तेजी से बढ़ रहा है।
मियाजाकीः कड़ी सुरक्षा में पकता है यह खास आम
जबलपुर में सबसे महंगे आम मियाजाकी ने स्वाद की दुनिया में धूम मचा दी है। एक आम की कीमत बीस हजार रुपये तक पहुंच जाती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तीन लाख रुपये किलो तक कीमत मिल जाती है। यह लाल रंग का होता है। एक आम 900 ग्राम से लेकर डेढ़ किलो तक का होता है। यह जापान की किस्म है, जो थाईलैंड, फिलिपींस में भी होती है। जापान में इसे सूर्य का अंडा कहते हैं। जबलपुर में साल 1984 से इसका उत्पादन हो रहा है। इसे पकाने के लिए गर्म मौसम और बारिश दोनों की जरूरत होती है। जबलपुर से सटे डगडगा हिनौता गांव में इन आमों को दूर से देखा जा सकता है। यहां आम के पेड़ कड़ी सुरक्षा में रहते हैं। मध्यप्रदेश से अब बांग्लादेश अरब, यूके, कुवैत, ओमान और बहरीन देशों को आम का निर्यात हो रहा है।
नूरजहांः फल आने से पहले हो जाती है बुकिंग
अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा के नूरजहां आम को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। आम आने से पहले ही एक-एक फल की बुकिंग हो जाती है। एक आम का वजन 500 ग्राम से लेकर दो किलो तक हो सकता है। बारह इंच तक लंबा हो सकता है। जनवरी में इसके फूल आना शुरू होते हैं। फरवरी के आखिर तक पेड़ फूलों से लद जाता है। जून के आखिर तक फलों से भर जाता है। इसका पौधा अफगानिस्तान से गुजरात होते हुए मध्यप्रदेश आया। कट्ठीवाड़ा में ही 37 किस्में देखी जा सकती है। पेड़ की ऊंचाई 60 फीट तक होती है। एक पेड़ में 100 के करीब आम निकल आते हैं। इस प्रकार करीब 350 आम पांच पेड़ों से मिल जाता है। एक आम 500 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक बिक जाता है।
सुंदरजाः रीवा को मिली खास पहचान
2023 में रीवा के गोविंदगढ़ में होने वाले सुंदरजा आम को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिला था। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने खुश होकर ट्वीट साझा किया था। 1968 में सुंदरजा पर डाक टिकट जारी हो चुका है। सुंदरजा आम देखने में जितना सुंदर है, स्वाद में उतना ही लाजवाब। सुगंध मदहोश कर देती है। बारिश की पहली फुहार के बाद यह पकता है। रीवा के फल अनुसंधान केंद्र कठुलिया में आम पर रिसर्च चल रही है। यहां विभिन्न किस्मों के आम के 2345 पेड़ हैं। इनमें बॉम्बे ग्रीन, इंदिरा, दशहरा, लंगड़ा, गधुवा, आम्रपाली, मलिका मुख्य है। गोविंदगढ़ क्षेत्र में ही आम के कई बाग है। यहां करीब 237 किस्म के आम मिल जाते है। सभी स्वाद में एक दूसरे से बढ़कर है। यहां से फ्रांस, अमेरिका, इंग्लैंड और अरब देशों को आम निर्यात होता है।
बढ़ा उत्पादन और क्षेत्र
मध्यप्रदेश में पिछले आठ वर्षों में आम का उत्पादन और क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। 2016-17 में उत्पादकता प्रति हैक्टेयर 13.03 मीट्रिक टन थी जो 2023-24 में बढ़कर 14.66 हो गई है। 2016-17 में आम का क्षेत्रफल 43,609 हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 64,216 हो गया है। उत्पादन 5,04,895 मीट्रिक टन था जो अब 9,41,352 मीट्रिक टन हो गया है।