विदेश मंत्री एस जयशंकर 9 से 11 अगस्त तक पड़ोसी द्वीपीय देश मालदीव की आधिकारिक यात्रा पर थे।
राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के पिछले वर्ष नवंबर में पदभार ग्रहण करने के बाद नई दिल्ली से यह पहली उच्चस्तरीय यात्रा थी। मुइज्जू को चीन समर्थक नेता माना जाता है।
उनके पदभार ग्रहण करने के बाद भारत विरोधी मुहिम चलाई गई थी लेकिन मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर की माले यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण ‘मील का पत्थर’ है।
माले का यह बदला हुआ रुख व्यापक पैमाने पर उसके उग्र “इंडिया आउट” अभियान से ठीक उलट है।
यानी जो मालदीव पिछले साल इंडिया आउट का नारा दे रहा था, वह अब इस रुख पर यू-टर्न लेते हुए भारत से अपनी मित्रता और मजबूत संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की इच्छा व्यक्त करने लगा है।
मुइज्जू ने भी जयशंकर की यात्रा के दौरान एक समारोह में कहा, “भारत हमेशा हमारे सबसे करीबी सहयोगियों और अमूल्य साझेदारों में से एक रहा है, जब भी हमें जरूरत होती है, भारत हमें सहायता प्रदान करता है।”
मुइज्जू ने कहा कि आने वाले वर्षों में दोनों देश अपने ऐतिहासिक संबंधों को और ऊंचाइयों पर पहुंचाएंगे।
मुइज्जू ने ये भी कहा कि मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों को हटाना मतदाताओं द्वारा समर्थित अभियान घोषणापत्र का हिस्सा था। उन्होंने आश्वासन दिया कि मालदीव हिंद महासागर की “शांति और स्थिरता” सुनिश्चित करेगा।
जानकार बता रहे हैं कि चीन की तरफ झुकाव रखने वाले मोहम्मद मुइज्जू का यह बदला हुआ रूप सामने आया है लेकिन माले ने यह यू-टर्न अचानक नहीं लिया है बल्कि इसके पीछे 9 महीने का घटनाक्रम और परिस्थितियां जिम्मेदार हैं।
दरअसल, भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मालदीव के तीन उपमंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों से उपजे राजनयिक विवाद के बाद भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार कर दिया था। इस साल जनवरी की शुरुआत में हुई इस घटना के बाद कई मशहूर हस्तियों और बॉलीवुड सितारों ने मालदीव बायकॉट का अभियान चलाया था।
इसकी वजह से इस साल 12 अगस्त तक भारत से सिर्फ 74,985 पर्यटकों ही मालदीव पहुंचे, जिसकी संख्या पिछले साल 15 अगस्त तक 128,756 थी। यानी 53,771 पर्यटक कम पहुंचे और जो पर्यटक गए भी उनमें अधिकांश जनवरी 2024 से पहले ही गए हैं।
भारत से जाने वाले पर्यटकों में आई भारी गिरावट के कारण मालदीव को करीब 1258 करोड़ रुपये ( $150 मिलियन) का अनुमानित नुकसान हुआ है।
यही वजह है कि पिछले साल नवंबर में जो मालदीव ‘इंडिया आउट’ का नारा लगा रहा था, वह नौ महीने बाद अब ‘वेलकम इंडिया’का नारा लगा रहा है।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में मालदीव के पर्यटन मंत्री ने नई दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर में “वेलकम इंडिया” नामक रोड शो के आयोजन के दौरान एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था।
इस रोड शो का उद्देश्य छुट्टियों के दौरान भारतीयों को मालदीव के समुद्री तटों पर वापस लाने की कोशिश करना था।
माले का यह हृदय परिवर्तन यह बताता है कि उसकी विदेश नीति के लिए भारत न केवल प्राथमिकता में है बल्कि सर्वोच्च भी है।
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