लोकसभा चुनाव में उम्मीद से काफी अच्छा प्रदर्शन करने के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी में संकट मंडरा रहा है।
लगभग 16 कांग्रेस नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बैठक के लिए चिट्ठी लिखी है। 16 जून को लिखी गई चिट्ठी में मुंबई में संगठनात्मक ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने, पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बढ़ाने, रणनीतिक सिफारिशों और प्रस्तावों पर चर्चा करने की बात कही गई है।
कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं का एक दल चाहता है कि पार्टी नेतृत्व वर्षा गायकवाड़ को मुंबई कांग्रेस प्रमुख के पद से हटा दे।
चिट्ठी पर वरिष्ठ नेता चंद्रकांत हंडोरे (सीडब्ल्यूसी सदस्य) और महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष, आरिफ नसीम खान, और महाराष्ट्र कांग्रेस के कोषाध्यक्ष डॉ अमरजीत मन्हास ने भी हस्ताक्षर किए हैं। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जेसी चंदुरकर भी इस कड़ी में शामिल हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स ने चिट्ठी लिखने वाले वरिष्ठ नेता के हवाले से बताया कि वे चाहते हैं कि गायकवाड़ को पद से हटा दिया जाए ताकि कांग्रेस अपनी हालिया सफलता को और आगे ले जा सके।
उन्होंने बताया, “वह एक संगठन का निर्माण करने में सक्षम नहीं रही हैं। कांग्रेस के प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए कुछ लोगों ने कुछ उपाय सुझाए हैं, लेकिन उनके सुझावों की अनदेखी की गई है। कोई बातचीत नहीं है। वह वही करती हैं जो वह चाहती हैं। नतीजतन, पार्टी के भीतर बंटवारा हो गया है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो हम मुंबई नगर निगम चुनाव नहीं जीत पाएंगे, आगामी विधानसभा चुनाव तो भूल ही जाइए।”
कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं का एक दल चाहता है कि पार्टी नेतृत्व वर्षा गायकवाड़ को मुंबई कांग्रेस प्रमुख के पद से हटा दे।
चिट्ठी पर वरिष्ठ नेता चंद्रकांत हंडोरे (सीडब्ल्यूसी सदस्य) और महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष, आरिफ नसीम खान, और महाराष्ट्र कांग्रेस के कोषाध्यक्ष डॉ अमरजीत मन्हास ने भी हस्ताक्षर किए हैं। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जेसी चंदुरकर भी इस कड़ी में शामिल हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स ने चिट्ठी लिखने वाले वरिष्ठ नेता के हवाले से बताया कि वे चाहते हैं कि गायकवाड़ को पद से हटा दिया जाए ताकि कांग्रेस अपनी हालिया सफलता को और आगे ले जा सके।
उन्होंने बताया, “वह एक संगठन का निर्माण करने में सक्षम नहीं रही हैं। कांग्रेस के प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए कुछ लोगों ने कुछ उपाय सुझाए हैं, लेकिन उनके सुझावों की अनदेखी की गई है। कोई बातचीत नहीं है। वह वही करती हैं जो वह चाहती हैं।
नतीजतन, पार्टी के भीतर बंटवारा हो गया है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो हम मुंबई नगर निगम चुनाव नहीं जीत पाएंगे, आगामी विधानसभा चुनाव तो भूल ही जाइए।”
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