हिन्दू धर्म में आभूषणों को सिर्फ श्रृंगार की सामग्री नहीं माना गया है, बल्कि इनका धार्मिक महत्व भी बताया गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर आभूषण का किसी ना किसी ग्रह से संबंध होता है और इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है. कोई भी पुरुष या महिला आभूषणों को धातुओं, रत्नों और उनके रंगों के आधार पर चुन तो लेता है, लेकिन उसके परिणाम कैसे होंगे? इससे अनभिज्ञ रहता है.
महिलाओं के श्रृंगार के लिए सोना-चांदी से बनी वस्तुओं को खास माना जाता है. आपने कानों, उंगलियों, हाथ और गले में सोने और चांदी के आभूषण देखे भी होंगे. लेकिन नाक में चांदी की नथनी पहनने की मना ही होती है. इसका ज्योतिष कारण क्या है?
नाक में चांदी ना पहनने के ज्योतिष कारण
ऐसा माना जाता है कि सोने से बने आभूषण हमेशा शरीर के ऊपरी हिस्से में पहने जाते हैं, वहीं शरीर के निचले हिस्से में चांदी से बने आभूषण पहने जाने चाहिए. धार्मिक मान्यतानुसार, शरीर का ऊपरी हिस्सा भगवान का हिस्सा माना जाता है. वहीं सोना को शुभता का प्रतीक माना जाता है और यह सूर्य व गुरु बृहस्पति ग्रह से शासित है.
सोने को देवी-देवताओं से जुड़ा माना जाता है. सोना को सूर्य से जोड़कर भी देखा जाता है, जो कि आत्मविश्वास, ऊर्जा और नेतृत्व का कारक है. ऐसे में जब आप सोने से बने आभूषण शरीर के ऊपरी हिस्से में पहनते हैं तो सूर्य का सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है.
वहीं बात करें चांदी की तो, ज्योतिष शास्त्र में चांदी की तो इससे बने आभूषणों को पहनने से शीतलता मिलती है. चांदी की धातु में चंद्रमा का वास माना जाता है, वहीं जब आप चांदी की नथ नाक में पहनते हैं तो इससे शुक्र की स्थिति कमजोर होने की संभावना रहती है. ऐसे में आपको ऐसा करने से बचना चाहिए.