हाथ में क्यों बांधते हैं मौली का धागा? क्या है इसका महत्व?

मौली, जिसे हम कलावा भी कहते हैं. भारतीय संस्कृति में इसका काफी महत्व है. यह एक लाल और पीला धागा होता है, जिसे पूजा के दौरान या शुभ अवसरों पर हाथ में बांधने का प्रचलन है. मौली का महत्व धार्मिक विश्वास से जुड़ा है. इसे बांधने से व्यक्ति की रक्षा, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि की कामना की जाती है. यह रक्षासूत्र का प्रतीक भी है, जो हर व्यक्ति को जीवन की चुनौतियों से सुरक्षित रखने का काम करता है. पूजा के समय मौली का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और तंत्र-मंत्र में भी किया जाता है.

मौली पहनने का महत्व

लोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड में स्थित के स्थानीय निवासी ज्योतिषी अजय कोठारी ने बताया कि मौली पहनना भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है. इसे पूजा के समय या धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान हाथ में बांधना एक पारंपरिक रिवाज है. मौली को पहनने से व्यक्ति को सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह रक्षासूत्र के रूप में कार्य करता है, जो व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा और विपरीत परिस्थितियों से बचाने का प्रतीक है. मौली पहनने से मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है. इसके अलावा, यह एक प्रकार की श्रद्धा और भक्ति का भी प्रतीक है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने में सहायक होता है.

मौली पहनने की विधि

मौली पहनने की विधि सरल और धार्मिक रीति-रिवाजों से भरी हुई है. पूजा के दौरान पहले हाथों को अच्छे से धोकर साफ करें. मौली को पूजा की थाली में रखें और देवी-देवता का ध्यानपूर्वक स्मरण करते हुए उन्हें आहुति दें. मौली को तीन बार घेरते हुए, मंत्रों का उच्चारण करते हुए अपने दाहिने हाथ में बांधें. इसे बांधते समय यह ध्यान रखें कि मौली को सही तरह से बांधें और इसे पूरी श्रद्धा से पहनें. यह मान्यता है कि मौली के साथ सही विधि से की गई पूजा और मंत्र जाप से जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त होती है. शास्त्रों के अनुसार पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए. वहीं विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *