क्या आपको मालूम है कि पग-पग पर द्रौपदी का सबसे ज्यादा ख्याल भीम रखते थे. जब भी द्रौपदी आहत होती थीं या कष्ट में होती थीं तो उन्हें सबसे पहला साथ भीम का ही मिलता था लेकिन उन्हीं के बेटे घटोत्कच में द्रौपदी ने ऐसा श्राप दे डाला, जिससे भीम के दुख की कोई सीमा नहीं रही. घटोत्कच की मां इससे सबसे ज्यादा विचलित हुई. क्योंकि अपने ही परिवार को कोई किसी को ऐसा शाप देने के बारे में सोच भी नहीं सकता था.
द्रौपदी ने भीम और हिडिंबा के अकेले बेटे घटोत्कच को जल्दी मरने का शाप दे दिया. शाप में उन्होंने कहा घटोत्कच की मृत्यु ना केवल जल्दी हो जाएगी बल्कि बिना लड़े ही हो जाएगी. किसी वीर के लिए इससे बड़ा भी शाप क्या होगा, अगर उससे ये कहा जाए कि वह युद्ध में बगैर लड़े ही मर जाएगा. हालांकि बाद में घटोत्कच की मृत्यु हो गई तो द्रौपदी बहुत दुखी भी हुई. खुद को कोसा भी.
द्रौपदी ने चंबल नदी और कुत्तों को भी दिया था शाप
द्रौपदी ने इसके अलावा चंबल नदी और कुत्तों को भी शाप दिया लेकिन ये वाला शाप तो सच में काफी स्तब्ध करने वाला था. दरअसल भीम की पत्नी हिडिंबा और द्रौपदी के बीच संबंध अच्छे नहीं थे. हिडिंबा द्रौपदी को बहुत पसंद नहीं करती थी.
हिडिंबा ने क्या कहा था पुत्र से
संदर्भों के अनुसार, जब भीम का पुत्र पहली बार पिता से मिलने हस्तिनापुर आया तो मां हिडिंबा ने उसे द्रौपदी के बारे में बहुत अच्छी राय नहीं दी थी. ये कहा था कि वह द्रौपदी को अनदेखा करे और सम्मान नहीं करे.
इससे द्रौपदी गुस्से से भर उठीं
लंबे-चौड़े घटोत्कच की गलती ये रही कि उसने द्रौपदी को पहले इग्नोर कर दिया, फिर उसे राजसभा में अपमानित भी किया, जिससे द्रौपदी बहुत आहत हुई. उसके गुस्से की कोई सीमा नहीं रही. उसने तड़ से घटोत्कच को शाप दिया कि उसकी आयु कम होगी.वह बिना किसी युद्ध के मारा जाएगा.
द्रौपदी ने भरी सभा में घटोत्कच के अपमान के बाद कहा वह एक विशेष स्त्री हैं, पांडवों की पत्नी और राजा द्रुपद की पुत्री. लिहाजा उसका असम्मान करके घटोत्कच ने अपराध जैसा किया है.
भीम को सकते में आ गए
जब भीम ने ये सुना तो वह स्तब्ध रह गए. उनके साथ पूरी सभा सन्नाटे में आ गई कि ये द्रौपदी कैसा शाप अपने ही सौतेले बेटे को दे दिया. क्योंकि कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि नाराज होकर द्रौपदी ऐसा कुछ कर डालेंगी लेकिन तीर तो कमान से छूट चुका था.
इस शाप का क्या असर हुआ
बाद में इस श्राप ने वाकई रंग दिखाया. महाभारत के युद्ध में कर्ण ने उसे इंद्र का अमोघ अस्त्र चलाकर मारा, जबकि वह वास्तव में अर्जुन पर इसका प्रयोग करना चाहता था. इस तरह द्रौपदी के श्राप का परिणाम घटोत्कच की मृत्यु के रूप में सामने आया.