मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट सत्र से पहले किसान संगठनों ने विपक्षी सांसदों से गुहार लगाई है।
सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसा संगठनों ने इंडिया गठबंधन के सांसदों से कहा है कि वे संसद में एमएसपी की गारंटी को लेकर प्राइवेट बिल लेकर आएं।
बता दें कि 22 जुलाई से बजट सत्र शुरू होने वाला है। इससे पहले दो किसान संगठनों संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा के किसान नेताओं ने विपक्षी सांसदों से मिलना शुरू कर दिया है।
किसान संगठनों ने अपनी मांगों की एक लिस्ट तैयार की है। किसान संगठनों ने विपक्षी सांसदों से मिलने की शुरुआत उन्हीं राज्यों से की है जहां उनकी पकड़ ज्यादा है।
इनमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। बता दें कि शुक्रवार को होने वाले लोकसभा के सत्र के दोपहर के बाद का समय प्राइवेट मेंबर बिल के लिए आरक्षित किया गया है।
प्राइवेट मेंबर बिल का उद्देश्य सरकार का ध्यान उन मुद्दों की तरफ खींचना होता है जिन्हें विपक्ष अहम मानता है। इसके जरिए विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका मिलता है।
अब तक 14 प्राइवेट मेंबर बिल कानून भी बन चुके हैं। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, हमारे प्रतिनिधि अलग-अलग राज्यों में जाकर विपक्षी सांसदों से मुलाकात कर रहे हैं।
हमारी कुछ मांगों को उन्होंने अपने घोषणापत्र में भी शामिल किया था। हमें पता है कि वे सत्ता में नहीं हैं लेकिन प्राइवेट मेंबर बिल के जरिए वे हमारी मांगों को धक्का तो दे ही सकत हैं। उन्हें चुनाव में किए गए वादे को पूरा करना चाहिए और हमारा साथ देना चाहिए।
किसान संगठनों ने कहा कि इस बार सरकार को एमएसपी की गारंटी के लिए स्पेशल बजट का ऐलान करना चाहिए और किसानों की कर्जमाफी का ऐलान भी बजट में करना चाहिए।
बता दें कि चुनाव के पहले से ही किसान संगठन एमएसपी की गारंटी, किसान आंदोलन में शामिल लोगों से केस हटाने समेत कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा की सीमा पर कुछ किसानों ने अब भी डेरा डाल रखा है।
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