भूटान में मंगलवार को हुए संसदीय चुनाव में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी)ने सबसे अधिक सीट जीती है और वह नई सरकार बनाएगी।
लोगों को उम्मीद है कि नेता हिमालयी देश में आर्थिक संकट को दूर करने के वादों को पूरा करेंगे। भूटान के राष्ट्रीय प्रसारक, भूटान ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक पीडीपी ने 47 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 30 सीट जीती हैं जबकि भूटान टेंड्रेल पार्टी को 17 सीट मिली हैं।
कौन हैं शेरिंग टोबगे
इसके साथ ही शेरिंग टोबगे के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। वह दूसरी बार भूटान के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।
2008 में वह भूटान की पहली संसद में विपक्ष के नेता थे। 48 साल के डोबगे ने हार्वर्ड में भी पढ़ाई की है। 2013 से 2018 तक वह देश के प्रधानमंत्री थे। इसके अलावा वह भूटान में प्रशासनिक पदों पर रह चुके हैं।
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शेरिंग टोबगे को इस जीत के लिए बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा, भूटान में संसदीय चुनाव जीतने के लिए मेरे दोस्त शेरिंग टोबगे और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को तहे दिल से बधाई।
उम्मीद है कि आगे भी हमारे संबंध और मजबूत होंगे और आपसी दोस्ती व सहयोग बना रहेगा।
साल 2008 में पारंपरिक राजतंत्र से संसदीय सरकार में परिवर्तन के बाद भूटान में यह चौथा राष्ट्रीय चुनाव है। भूटान का निर्वाचन आयोग अंतिम नतीजों को बुधवार को जारी करेगा।
चुनाव में केवल पूर्व प्रधानमंत्री त्शेरिंग टोबगे की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पूर्व लोकसेवक पेमा चेवांग की अध्यक्षता वाली भूटान टेंड्रेल पार्टी शामिल हैं।
नवंबर में मतदान के प्राथमिक दौर में सत्तारूढ़ सेंटर-लेफ्ट द्रुक न्यामरुप त्शोग्पा पार्टी सहित तीन अन्य दल अंतिम दौर के चुनाव से बाहर हो गए थे।
भूटान चीन और भारत के बीच में अवस्थित है और दोनों पड़ोसी देश करीब आठ लाख आबादी वाले जमीन से घिरे इस देश में अपना प्रभाव स्थापित करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
देश में चुनाव प्रचार में आर्थिक संकट मुख्य मुद्दा रहा। विश्व बैंक के अनुसार, भूटान में पिछले पांच वर्षों में वृद्धि दर 1.7 प्रतिशत रही है।
बेरोजगारी के चलते विदेशों में उच्च शिक्षा और नौकरियों की तलाश में युवाओं का पलायन देश की आर्थिक क्षमता को कमजोर कर रहा है।
आर्थिक चुनौतियों से पार पाने के लिए भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने दिसंबर में गेलेफू में एक मेगासिटी की योजना की घोषणा की थी, जिसमें विदेशी निवेश के साथ कार्बन मुक्त उद्योग होंगे। यह शहर भारतीय राज्य असम की सीमा पर अवस्थित होगा।
वांगचुक ने कहा था कि शहर का निर्माण भूटानी संस्कृति और परंपरा को ध्यान में रखकर किया जाएगा तथा यह हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के अनुरूप होगा।
उन्होंने शीर्ष भारतीय व्यापारिक नेताओं से मुलाकात की थी, जिनके इस परियोजना में निवेश करने की उम्मीद है।
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