लोकसभा चुनाव 2024 के बीच भारत में चीन अपना राजदूत नियुक्त करने जा रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों की बीच संबंधों में काफी गिरावट देखी गई है। चीन द्वारा की जा रही यह नियुक्ति 18 महीने बाद हो रही है।
सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वरिष्ठ राजनयिक जू फेइहोंग के नाम पर मुहर तो लगा दी है लेकिन, आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है। वह सुन वेइडोंग की जगह लेंगे, जो अभी चीन में उप विदेश मंत्री का पद संभाल रहे हैं।
चीन की ओर से फेइहोंग की नियुक्ति को लेकर आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय ने ‘पीटीआई’ को पुष्टि की है कि अफगानिस्तान और रोमानिया में चीन के राजदूत रहे फेइहोंग अब भारत में देश के नए राजदूत होंगे।
कौन हैं फेइहोंग
फेइहोंग (60) के जल्द ही नई दिल्ली जाकर पदभार ग्रहण करने की संभावना है। वह चीन के अनुभवी चीनी राजनयिक सुन वेइडोंग का स्थान लेंगे जिनका कार्यकाल अक्टूबर 2022 में समाप्त हो चुका है।
सुन भारत में चीन के राजदूत की जिम्मेदारी निभाने से पहले इसी पद पर पाकिस्तान में कार्य कर चुके थे और मौजूदा समय में चीन के उप विदेशमंत्री हैं। वह दक्षिण एशिया को लेकर चीन की नीति भी देख रहे हैं।
फेइहोंग की नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब भारत में आम चुनाव हो रहे हैं और लंबे समय से चल रहे सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर दीर्घकालिक वार्ता चल रही है।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख के पेगोंग त्सो झील इलाके में पांच मई 2020 को हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में व्यापार को छोड़ ठहराव आ गया है।
पूर्वी लद्दाख की घटना के बाद दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते लगभग ठहर गए हैं। सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है।
चीन की सेना के मुताबिक दोनों पक्ष चार बिंदुओं गलवान घाटी, पेंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग और जियानान दबान (गोगरा) इलाके से सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हो चुके हैं।
भारत, चीन की जनवादी मुक्ति सेना पर देपसांग और डेमचोक इलाके से पीछे हटने का दबाव बना रहा है। भारत का कहना है कि सीमा पर असमान्य स्थिति के रहते चीन के साथ रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते हैं।