केदारनाथ में लगाया गया 23 किलो सोना आखिर कहां गया? 2 साल बाद मंदिर समिति ने दिया जवाब

केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का मामला इन दिनों खासा विवाद में है. कांग्रेस का कहना है कि केदारनाथ में लगाया गया 23 किलो सोना कहां गया, मंदिर समिति को इस पर स्पष्ट करना चाहिए. कांग्रेस यह भी सवाल उठा रही है कि गर्भगृह में लगाया गया सोना काला कैसे पड़ गया? क्या सोना नकली था? केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र भी है यहां जल्द ही विधानसभा के उपचुनाव भी प्रस्तावित हैं. इसिलिए पहली बार मंदिर समित को आगे आकर स्पष्टीकरण देना पड़ा है.

केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को 2022 में स्वर्णमंडित कर बनाया गया. तब से ही लगातार सोने को लेकर विवाद होता रहा है. अब जाकर मंदिर समिति ने आगे आकर आधिकारिक तौर पर पूरी रशीदों और साक्ष्यों के साथ बयान जारी किया. मंदिर समिति के अनुसार केदारनाथ मन्दिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने में 23 किलो 777.800 ग्राम सोने का उपयोग किया गया था, जिसका बाजार भाव 14 करोड़ 38 लाख है. इसमें एक हजार किलोग्राम कॉपर प्लेटों का प्रयोग किया गया, जिनकी कीमत 29 लाख है..मंदिर समिति के सीईओ द्वारा जारी बयान के मुताबिक गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का कार्य स्वयं दानी दाता ने अपने स्तर से किया था. दानी दाता ने अपने स्तर से ज्वैलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाईं और फिर उन पर सोने की परत चढ़ाई गई. दानी दाता ने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कराया. सोना खरीदने से लेकर मंदिर में स्थापित करने का संपूर्ण कार्य दानी दाता द्वारा कराया गया. मंदिर समिति का कहना है कि उसकी प्रत्यक्ष रूप से इसमें कोई भूमिका नहीं थी.

मंदिर समिति का कहना है कि इसी दानी दाता द्वारा 2005 बदरीनाथ मंदिर के गर्भ गृह को भी स्वर्ण जड़ित किया गया था लेकिन एक सुनियोजित षड्यंत के तहत इस बार ही आरोप लगाए जा रहे हैं. समिति का कहना है कि जिस तरह से केंद्र और प्रदेश सरकार के प्रयासों के बाद केदारनाथ धाम का सौंद्रर्यीकरण किया गया और श्रदालुओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्वि हुई, वो क्षु्द्र राजनीतिक तत्वों को रास नहीं आ रही है. समिति ने दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है.

दरअसल, केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र भी है..यहां से बीजेपी विधायक शैलारानी रावत का इसी महीने की शुरुआत में निधन हो गया था. इस सीट पर अब जल्द ही चुनाव होने जा रहे हैं. यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से केदारनाथ को लेकर राजनीति तेज है. हाल ही में दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास से विवाद शुरू हुआ तो इसमें मंदिर से सोना चोरी वाला मामला भी तूल पकड़ गया. राज्य में सरकार बीजेपी की है. बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय भी बीजेपी के नेता है. इसलिए भी विपक्ष समिति और सरकार पर हावी है. यह भी एक कारण है कि दो साल बाद पहली बार समिति को आधिकारिक तौर पर बयान जारी करना पड़ा है.

इधर कांगेस केदारनाथ में भ्रष्टाचार और सनातन परंपरा को तोड़ने का आरोप लगाते हुए केदारनाथ प्रतिष्ठा पद यात्रा निकाल रही है. 24 जुलाई को हरिद्वार में हरि की पैडी से शुरू हुई ये यात्रा पांच अगस्त को केदारनाथ में संपन्न होगी.कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करना माहरा इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो प्रस्तावित उपचुनाव से पहले शुरू हुए केदारनाथ विवाद और उस पर कांग्रेस की पदयात्रा से बीजेपी हलकों में बेचैनी है. सूत्र बताते हैं कि बीजेपी संगठन में इस बात की चर्चा हुई कि केदारनाथ पर मंदिर समिति स्थिति स्पष्ट क्यों नही कर रही है. उसके बाद ही मंदिर समिति ने तथ्यों के साथ बयान जारी किया.
 

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