जब राक्षसों के अत्याचार देख देवी ने किया युद्ध…दर्शन मात्र से धुल जाते हैं पाप! साल में 2 बार लगता है मेला

सहारनपुर: पश्चिम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद में शिवालिक की पहाड़ियों में स्थित मां शाकंभरी देवी मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. मां शाकंभरी को माता दुर्गा का अवतार कहा गया है. दुर्गाशप्तशती में भी मां शाकंभरी की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है. सहारनपुर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर बेहट क्षेत्र में स्थित इस मां शाकंभरी शक्तिपीठ को लेकर मान्यता है कि यहां से कोई मुराद खाली नहीं जाती.

मां शाकंभरी देवी मंदिर की कहानी
बताया जाता है कि प्राचीनकाल में भगवान ब्रह्मा से वरदान में चारों वेद पाकर दुर्गम नामक राक्षस ने देवताओं व इंसानों को परेशान करना शुरू कर दिया था. राक्षसों के अत्याचार से त्राहि-त्राहि मच गई. पृथ्वी पर घोर पाप होने के कारण अकाल पड़ गया. तब देवताओं ने माता भगवती की तपस्या की तो आदिशक्ति ने प्रसन्न होकर देवताओं के संकट हरने का संकल्प लिया. आदिशक्ति ने युद्ध कर राक्षसों का संहार किया. जहां पर मां शाकंभरी ने राक्षसों से युद्ध किया था उसको वीर खेत के नाम से जाना जाता है. मां शाकंभरी मंदिर के सामने ही राक्षसों से मां का युद्ध हुआ था. दर्शन करने पहुंचने वाले श्रद्धालु इस वीर खेत में घूमना पसंद करते हैं.

देवताओं ने की थी मां भगवती की तपस्या
 मां शाकंभरी मंदिर उत्तर भारत का बड़ा ही आध्यात्मिक, श्रद्धा और आस्था का केंद्र है. साल में दो बार यहां पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है. मां के दर्शन करने के लिए हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली सहित समस्त उत्तर प्रदेश के श्रद्धालु माता के दर्शन करते हैं. मनोकामनाएं मांगते है.
मां शाकंभरी के सम्बंध में ये मान्यता है कि देवासुर संग्राम जिस स्थान पर हुआ था वह स्थान शिवालिक क्षेत्र शिवालिक पहाड़ियां है. मां शाकंभरी देवी जहां स्थापित है उसके ठीक सामने एक मैदान है जिसको वीर खेत के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि दुर्गम नमक दैत्य महिषासुर का वध मां शाकंभरी ने यही पर किया था.

लगती है भक्तों की भीड़
इस मंदिर में आए भक्तों को कहना है कि उनकी जीवन की हर परेशानी का हल यहां पूजा-पाठ करने के बाद मिल जाता है. कई भक्त ऐसे हैं जो लगातार इस मंदिर में पूजा के लिए आते रहते हैं.

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