गंगा दशहरा व्रत पर्व की क्या है मान्यता, इस दिन कैसे करें पूजा

गंगा दशहरा प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है. जो इस साल 16 जून 2024 को मनाया जा रहा है. तिथि के अनुसार ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि के दिन मां गंगा का अवतरण हुआ था. इसलिए इसे गंगा दशहरा कहते हैं और इसलिए इस दिन गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है. इस दिन मां गंगा की उपासना कर विधि विधान से पूजा करने के प्रावधान है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. गंगा दशहरा पर्व की मान्यता है गंगा दशहरा के दिन कैसे इसकी पूजा की मोक्ष की प्राप्ति होगी जानिए पंडित जी से गंगा दशहरा के बारे में क्या बताया है.

जांजगीर जिला मुख्यालय के पुरानी सिंचाई कॉलोनी में स्थित दुर्गा मंदिर के पंडित बसंत शर्मा महाराज ने बताया की गंगा मईया के पृथ्वी के अवतरित के बारे में बताया की सदर के 60 हजार संतान को कपिल जी श्राप देकर भस्म कर देते है. इसके कारण उनके पूर्वज राजा भागीरथ की कठिन तपस्या करता है जिससे प्रसन्न होकर गंगा मैय्या का पृथ्वी पर आना संभव हो पाया लेकिन गंगा मां ने कहा की पृथ्वी के अंदर मेरी वेग को सहने की शक्ति नहीं है, जिसके कारण भगवान शिव को तपस्या करते है उन्हें बाद शिव की अपनी जटाओं के बीच में गंगा मां को स्थान देते है. और एक साल तक अपनी जटाओं में रखे रहते है उसके बाद छोटा सा धार के रूप में पृथ्वी पर गंगा के जल आया है तबसे निरंरत मां गंगा नदी के रूप में बह रही है. गंगा दशहरा के दिन गंगा मैय्या के साथ-साथ भगवान शिव की उपासना करना चाहिए.

बसंत महाराज ने बताया की गंगा दशहरा के दिन पूजा करने से चार प्रकार की मुक्ति बताई गई है. जिसमे दर्शन करने से, मंजन करने से, पान करने से, स्नान करने से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही अगर गंगा नदी के पूजा करना चाहिए है. हर व्यक्ति गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी के दर्शन नहीं कर सकते तो अगर आपके पास में गंगा से लाए हुए गंगा जल है उसका पूजा करने उसको प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए. इससे भी गंगा मैया के दर्शन के बराबर लाभ मिलता है.
 

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