नीले साफ पानी के बीच सफेद बालू और लंबे तटों वाला मालदीव हिन्द महासागर के बीच पर्यटन के लिए मशहूर एक द्वीपीय देश है।
इसका निर्माण करीब 1200 कोरल द्वीपों से हुआ है। इस पर नैसर्गिक सुंदरता का खजाना कहे जाने वाले 20 एटॉल्स हैं।
यहां सालों भर मौसम गर्म रहता है। एटॉल और द्वीपों का संग्रह मालदीव को भारतीय उपमहाद्वीप में लोकप्रिय गंतव्य स्थल बनाता है।
मालदीव के एटॉल शानदार हैं, जिनपर विशेष समुद्री रिसॉर्ट्स, निजी पूल और पानी के बीच कमरे बने हुए हैं। यहां से पर्यटक हिन्द महासागर की खूबसूरती का दीदार करते हैं।
समंदर के अंदर कोरल दीवारों, चमकीले रंग की उष्णकटिबंधीय मछलियां और अन्य दिलचस्प समुद्री जीवों की एक शानदार श्रृंखला का नजारा पर्यटक इन एटॉल्स से लेते हैं। पर्यटक यहां स्नॉर्कलिंग और डाइविंग के लिए भी आते हैं।
क्या होते हैं एटॉल्स?
एटॉल्स अंगूठी के आकार की वलयाकार मूंगा चट्टान, द्वीप या द्वीपों की श्रृंखला होती है। वलयाकार आकृति के बीच पानी का एक भंडार होता है, जो चारों तरफ स्थल से घिरा होता है, जिसे लैगून कहा जाता है।
कभी-कभी, एटॉल खुले होते हैं और लैगून किसी द्वीप की रक्षा कर रहे होते हैं। कभी-कभी टापुओं के बीच का लैगून खुले महासागर या समुद्र से जुड़ा होता है।
यह भौगोलिक और प्राकृतिक बनावट उस क्षेत्र की नैसर्गिक सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
मालदीव में कौन-कौन से एटॉल
मालदीव में ऐसे 20 एटॉल्स हैं, जो प्राकृतिक सुंदरता से भरा है। इसीलिए, यहां पर्यटक उसका लुत्फ उठाने आते हैं। समंदर के बीच रहना, वहां के जलीय पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय सुख का अनुभव करने के लिए पर्यटक लक्षद्वीप और मालदीव के द्वीपों की ओर रुख करते रहे हैं।
मालदीव के मशहूर एटॉल्स में हा अलिफ एटॉल, हा ढालु एटॉल, शवियानी एटॉल, नूनू एटॉल, रा एटॉल,बा एटॉल, हवियानि एटॉल,काफू एटॉल, लिफू अलिफु एटॉल, लिफू ढालू एटॉल, वावु एटॉल, फाफू एटोल, धालू एटोल, मीमू एटॉल,था एटॉल, गाफू एटॉल, लामू एटॉल, गाफू-ढालू एटॉल, ग्वनावियानी एटॉल और सीनू एटॉल शामिल हैं।
कैसे बनते हैं एटॉल
ये एटॉल पानी के नीचे ज्वालामुखी विस्फोट के साथ विकसित होते हैं, जिन्हें सीमाउंट कहा जाता है। सबसे पहले, ज्वालामुखी फूटता है, जिससे समुद्र तल पर लावा जमा हो जाता है।
जैसे-जैसे ज्वालामुखी का विस्फोट जारी रहता है, सीमाउंट की ऊंचाई बढ़ती जाती है, अंततः पानी की सतह टूट जाती है और ज्वालामुखी का शीर्ष एक समुद्री द्वीप या टापू बन जाता है।
इसके बाद, मूंगा (Corals) नामक छोटे समुद्री जीव द्वीप के चारों ओर एक चट्टान बनाना शुरू करते हैं। मूंगों के जिस प्रकार से चट्टानें बनती हैं, उन्हें हर्मेटाइपिक मूंगे या कठोर मूंगे कहा जाता है।
हर्मेटिपिक मूंगे चूना पत्थर (कैल्शियम कार्बोनेट) का एक कठोर बाह्यकंकाल बनाते हैं। बाद में उस पर पेड़-पौधे विकसित हो जाते हैं।
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