शारदीय नवरात्रि के दशवें दिन यानी आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरे का पर्व मनाया मनाया जाता है। इस बार दशहरा (विजयादशमी) का पर्व शनिवार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, दशहरे के दिन ही भगवान राम ने लंका नरेश रावण का वध किया था। इस दिन असत्य पर सत्य की जीत हुई थी, इसलिए ये पर्व विजयादशमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है और अस्त्र शस्त्रों की पूजा की जाती है।
दशहरे के दिन आतिशबाजी के साथ ही रावण दहन का विशाल आयोजन होता है। नवरात्रि में शुरू होने वाली रामलीला का मंचन दशमी को यानी दशहरे के दिन रावण के दहन के साथ समाप्त होता है। दशहरा पर्व पर बहुत से लोग रावण को जलाते हैं और उसके जलने के बाद उसकी जली हुई लकड़ी को उपने घरों में लाकर रखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने पर घर से बुरी-बलाएं दूर हो जाती हैं और घर में सुख शांति बनी रहती है। कुछ लोग दशहरा को पान खाने का सगुन करते हैं। तो कुछ इलाकों में दशहरे का मेला भी आयोजित होता है।
दशहरे को ये काम करने से मिलता हे पुण्य-
मान्यता है कि दशहरे के दिन यदि किसी को नीलकंठ नाम का पक्षी दिख जाए तो काफी शुभ होता है। कहा जाता है कि नीलकंठ भगवान शिव का प्रतीक है जिनके दर्शन से सौभाग्य और पुण्य की प्राप्ति होती है।
दशहरे के दिन गंगा स्नान करने को भी बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। कहा जाता है कि दशहरे के दिन गंगा स्नान करने का फल कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए दशहरे दिन लोग गंगा या अपने इलाके की पास किसी नदी में स्नान करने जाते हैं।