नए सम्पदा पोर्टल पर रजिस्ट्री करवाने में छूट रहे पसीने… सॉफ्टवेयर में भी खामी

भोपाल । बड़े जोर-शोर दावों के साथ नया सम्पदा पोर्टल-2.0 लॉन्च किया गया और हड़बड़ी में सॉफ्टवेयर से जुड़ी खामियों को ही दूर नहीं किया, जिसके चलते इस नए पोर्टल पर रजिस्ट्री करवाना खासा टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। घंटों इंतजार के बाद जैसे-तेसे दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड होते हैं, तो कभी सर्वर ठप रहता है, तो कभी सॉफ्टवेयर काम करना बंद कर देता है। नतीजतन एक-एक रजिस्ट्री में 3 से 4 घंटे तक का समय भी लग रहा है। दावा तो यह किया गया था कि विदेश में बैठा व्यक्ति भी ऑनलाइन रजिस्ट्री करा सकेगा, मगर दूसरी तरफ विदेश से आए एक व्यक्ति को कल परेशान होकर बिना रजिस्ट्री कराए ही वापस जाना पड़ा।
पंजीयन विभाग को यह पता था कि नए पोर्टल में रजिस्ट्री करवाने पर समस्याएं आएंगी। यही कारण है कि लॉन्चिंग के बाद कई दिनों तक तो नए पोर्टल पर रजिस्ट्रीयां ही नहीं हुई और अभी भी नए के साथ पुराने पोर्टल के जरिए भी रजिस्ट्रियां करवाई जा रही है। मगर पुराने पोर्टल पर स्लॉटों की संख्या घटा देने से अब उसके जरिए रजिस्ट्री कराने वालों की प्रतीक्षा सूची लम्बी हो रही है और 4-5 दिन से लेकर हफ्तेभर का समय भी लग रहा है, क्योंकि अभी भी अधिकांश लोग पुराने पोर्टल पर ही रजिस्ट्री करवाना चाहते हैं। मगर स्लॉट घटने के कारण आसानी से मिलते नहीं, जिसके चलते मजबूरी में नए पोर्टल सम्पदा-2.0 पर भी रजिस्ट्रियां कराई जा रही है, जिसका स्लॉट तो मिल जाता है, मगर चूंकि सारे दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करना पड़ते हैं, उसमें काफी समय लगता है। सर्विस प्रोवाइडर से लेकर रजिस्ट्री कराने वालों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। हालांकि पोर्टल-2.0 पर होने वाली रजिस्ट्रियों के दस्तावेज गुणवत्तापूर्ण और रंगीन रहते हैं, जिससे यह पहचानने में आसानी रहती है कि कौन-सी रजिस्ट्री असली है और कौन-सी फोटोकॉपी। वरना अभी पुराने पोर्टल पर होने वाली रजिस्ट्री का दस्तावेज असल और नकल यानी फोटो कॉपी एक जैसा ही दिखता है। नए पोर्टल को लॉन्च करते वक्त पंजीयन विभाग ने बढ़-चढक़र दावे किए, जिसमें कहा गया कि घर बैठे और यहां तक कि विदेश में रहने वाले लोग भी बिना पंजीयन विभाग आए ऑनलाइन रजिस्ट्री करवा सकेंगे। वहीं गवाह को भी लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जबकि हकीकत में अभी ये सारी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, क्योंकि थोड़ा-सा भी लोड बढऩे पर सम्पदा का नया पोर्टल ठप पड़ जाता है। सर्वर के धीमी गति से चलने के साथ-साथ सॉफ्टवेयर की खामियां भी मुसीबत बढ़ाती है। विदेश से आए व्यक्ति को एक रजिस्ट्री करवाना थी, 4 से 5 घंटे इंतजार किया, मगर मॉडगेज की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो सकी, जिसके चलते लंदन से आए व्यक्ति को चूंकि शाम की ही फ्लाइट से जाना था, इसलिए बिना रजिस्ट्री के ही लौटना पड़ा। जबकि मध्यप्रदेश में सबसे अधिक स्टाम्प ड्यूटी सरकार द्वारा वसूली जाती है। बावजूद इसके रजिस्ट्री कराने वालों को किसी तरह की सुविधा नहीं मिलती। यहां तक कि हेल्प डेस्क में भी फोन लगाने पर यही जवाब मिलता है कि अभी कुछ समस्या चल रही है और थोड़ा समय लगेगा। घर बैठे छोड़, अभी पंजीयन विभाग के दफ्तर में घंटों बैठने के बाद भी रजिस्ट्री आसानी से होने के दावे झूठे ही साबित हो रहे हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि धीरे-धीरे सॉफ्टवेयर सहित अन्य खामियों को दूर किया जा रहा है और यही कारण है कि अभी नए-पुराने दोनों पोर्टल के माध्यम से रजिस्ट्री करवाने का विकल्प दिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *