मणिपुर में नहीं थम रहा हिंसा; शांति की मांग को लेकर महिलाओं ने निकाला मौन मार्च

मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य के मैतेई और कुकी समुदायों ने संसद सत्र शुरू होने पर केंद्र से मणिपुर पर ध्यान देने की मांग की। महिलाओं ने बड़े पैमाने पर सड़कों पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। दोनों पक्षों ने इस दौरान एक साल से जारी हिंसा को समाप्त करने का आह्वान भी किया।

महिलाओं ने निकाला मौन मार्च

सैकड़ों महिलाओं ने राजधानी इंफाल में हाथ में तख्तियां लेकर शांतिपूर्ण तरीके से मौन मार्च निकाला। तख्तियों पर केंद्र सरकार से केंद्रीय बलों को हटाने की मांग की गई थी। महिलाओं ने इस दौरान आरोप लगाया कि राज्य में हिंसा को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में हिंसा एक साल के अधिक समय से जारी है और अब इस मुद्दे पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। महिलाओं ने राज्य में जारी हिंसा को जल्द सुलझाने की भी मांग की है।

कुकी नेताओं ने की अलग प्रशासन की मांग

विरोध प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों लोगों ने विधायकों और नागरिक समाज के नेताओं के मार्च और भाषणों को सुनने के लिए एकत्र हुए। इस दौरान उन्होंने उन्होंने केंद्र से मणिपुर में सभी कुकी बहुल इलाकों को मिलाकर एक अलग प्रशासन या केंद्र शासित प्रदेश बनाने का अनुरोध किया। मालूम हो कि मणिपुर की 10 सदस्यीय विधानसभा में 10 कुकी विधायक हैं, जिसमें कई भाजपा के भी विधायक शामिल हैं।

जिरीबाम जिले में बफर जोन बनाने की मांग

प्रदर्शन के दौरान कुकी संगठनों ने केंद्र सरकार से पड़ोसी जिरीबाम जिले में एक बफर जोन बनाने का भी अनुरोध किया। हाल ही में जिरीबाम जिले में  मैतेई समुदाय और हमर जनजाति के बीच झड़पें देखने को मिली थी। मालूम हो कि मणिपुर में जारी हिंसा में अब तक 220 से अधिक लोगों की मौत हो गई है, जबकि करीब पचास हजार लोगों को आंतरिक विस्थापन का सामना करना पड़ा है। 
 

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