चीन के लिए अमेरिकी नौसेना का बड़ा कदम, 3 एयरक्राफ्ट कैरियर एशिया में तैनात

अमेरिका ने राष्ट्रपति निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण पर भव्य शक्ति प्रदर्शन की तैयारी की है। इस दौरान एक साथ तीन अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर चीन के पास मौजूद रहकर एक कड़ा संदेश देने की कोशिश करेंगे। ट्रंप ने अपने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान चीन को अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बताया है। उन्होंने अपनी अधिकतर रैलियों में चीन के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार करने का वादा भी किया है। माना जा रहा है कि यह सैन्य तैनाती ट्रंप के इसी रुख को प्रदर्शित करने का एक जरिया है।

50 दिनों तक तैनात रहेंगे तीन एयरक्राफ्ट कैरियर
विश्लेषकों का कहना है कि नौसेना अगले 50 दिनों के दौरान राजनीतिक अनिश्चितता के लिए चीन को सबसे बड़ा खतरा मानती है। एशिया में बढ़ी हुई उपस्थिति का उद्देश्य ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले 50 से ज़्यादा दिनों में चीन द्वारा किसी भी तरह के खतरे का मुकाबला करना है। हालांकि, इससे मध्य पूर्व में अमेरिकी नौसेना की उपस्थिति कम हो जाएगी। इसके बावजूद अमेरिका ट्रंप के शपथग्रहण के दौरान एक साथ तीन एयरक्राफ्ट कैरियरों को तैनात कर चीन को सख्त संदेश देने की कोशिश करेगा।

एशिया में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति मजबूत
चीन के करीब आने वाले एयरक्राफ्ट कैरियरों में यूएसएस जॉर्ज वॉशिंगटन, यूएसएस कार्ल विंसन और यूएसएस अब्राहम लिंकन हैं। यूएसएस जॉर्ज वाशिंगटन 22 नवंबर को पिछले नौ साल में पहली बार जापान के योकोसुका पहुंचा है। वहीं, यूएसएस कॉर्ल विंसन को प्रशांत महासागर में अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए तैनात किया गया है। अमेरिका का एशिया में मौजूद तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस अब्राहम लिंकन हिंद महासागर में डिएगो गार्सिया में तैनात है।

अमेरिका-चीन संबंधों में बढ़ सकता है तनाव
ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप के नए कार्यकाल के दौरान अमेरिका-चीन संबंधों में नया तनाव देखने को मिल सकता है। अमेरिका के नए प्रशासन में शामिल अधिकतर बड़े अधिकारी चीन विरोधी बताए जा रहे हैं। खुद ट्रंप भी खुद को चीन विरोधी कहते हैं। ऐसे में उनके कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते और अधिक बिगड़ सकते हैं। यही कारण है कि अमेरिका चीन के नजदीक सैन्य उपस्थिति को आक्रामक तरीके से बढ़ा रहा है।

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