यूपी के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें घटने का असर केन्द्र में बनने वाली एनडीए 03 की सरकार में भी दिखेगा। माना जा रहा है कि इस बार मोदी सरकार में यूपी की भागीदारी कम होगी। सूत्रों का कहना है कि इस बार लोकसभा चुनाव में चुनाव हारने वाले केन्द्रीय मंत्रियों के स्थान पर कुछ नए चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। हालांकि मंत्री बनाने में जातीय समीकरण का विशेष ख्याल रखा जाएगा। दरअसल 2019 के चुनाव में यूपी में भाजपा ने एनडीए समेत कुल 65 सीटें जीती थी, जबकि इस बार यह आंकड़ा 36 पर ही सिमट गया है। इसलिए माना जा रहा है कि इस बार सीटों की संख्या को देखते हुए ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल में यूपी की भागीदारी दी जाएगी। हालांकि इस पर फैसला 7 को दिल्ली में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में होने वाली भाजपा की बैठक में लिया जाएगा। इस बैठक में चुनाव के परिणामों की समीक्षा, केन्द्र सरकार के स्वरूप समेत प्रदेशों की सरकार में भागीदारी पर चर्चा की जाएगी।
मोदी समेत कुल 14 मंत्री है मौजूदा सरकार में
मौजूदा सरकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल समेत यूपी से कुल 14 मंत्री हैं। इनमें राजनाथ सिंह, स्मृति इरानी, महेंद्र नाथ पांडेय, वीके सिंह, साध्वी निरंजन ज्योति, संजीव बालियान, पंकज चौधरी, एसपी सिंह बघेल, भानू प्रताप वर्मा, कौशल किशोर, बीएल वर्मा और अजय मिश्र उर्प टेनी शामिल हैं। बीएल वर्मा राज्यसभा सदस्य हैं, जबकि मोदी समेत सभी 13 मंत्री इस बार भी चुनाव मैदान में उतरे थे। इनमें 7 मंत्री चुनाव हार गए हैं।
दिनेश शर्मा व जितिन की लग सकती है लॉटरी
निर्वतमान मोदी सरकार में यूपी से ब्राम्हण चेहरे के तौर पर शामिल रहे महेन्द्र नाथ पांडेय और अजय मिश्र टेनी चुनाव हार गए हैं। इसलिए माना जा रहा है कि इनके स्थान पर पूर्व डिप्टी सीएम व राज्यसभा सदस्य दिनेश शर्मा प्रदेश पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद की लॉटरी लग सकती है। इसके अलावा दलित और ओबीसी के समीकरण को साधने के लिए भी सतीश गौतम, अनूप बाल्मिकी और एसपी सिंह बघेल में कोई दो मंत्री बनाए जा सकते हैं। वहीं, ओबीसी चेहरे के तौर भोला सिंह, छत्रपाल गंगवार, पंकज चौधरी और विनोद बिंद में से किसी दो को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है।