महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र समिति (सीईडीएडब्ल्यू) ने अफगानिस्तान के भविष्य पर यूएन के तत्वाधान में आयोजित हो रही बैठक से महिलाओं व लड़कियों को शामिल ना किए जाने पर गहरी चिंता जताई है। अफगानिस्तान के विशेष दूतों की दो-दिवसीय बैठक इस सप्ताहांत कतर की राजधानी दोहा में होगी। 30 जून से एक जुलाई तक होने वाली इस बैठक की अध्यक्षता, शांतिनिर्माण एवं राजनैतिक मामलों की प्रमुख और अवर महासचिव रोजमैरी डीकार्लो करेंगी। इस दौरान अफगानिस्तान के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने और अंतरराष्ट्रीय संपर्क व बातचीत को ढांचागत ढंग से आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श होने की उम्मीद है। अवर महासचिव रोजमैरी डीकार्लो ने 18-21 मई को अफगानिस्तान की यात्रा के दौरान, सत्तारूढ़ तालिबान प्रशासन को इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की ओर से आमंत्रित किया था। यूएन समिति सीईडीएडब्ल्यू ने दुख जताया है कि अफगान महिलाएं फिलहाल दुनिया में अपने अधिकारों के लिए सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण संकट का सामना कर रही हैं। इसके मद्देनजर, उन्होंने इस बैठक में महिलाओं को सक्रिय व प्रत्यक्ष रूप से शामिल किए जाने का आग्रह किया है। समिति के सदस्यों ने शुक्रवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट किया है कि उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने में विफल रहने से अफगान महिलाओं व लड़कियों की चुप्पी और बढ़ेगी, जबकि उनके अधिकारों का पहले ही गंभीर रूप से हनन हो रहा है।
महिलाओं की स्थिति बद से बदतर
समिति ने अफगानिस्तान में महिलाओं व लड़कियों के लिए बद से बदतर होती स्थिति पर बार-बार चिंता जताई है, जिससे मौजूदा और भावी पीढ़ियों को ऐसा बड़ा नुकसान पहुंच रहा है, जिसकी भरपाई कर पाना मुश्किल होगा। समिति के अनुसार शिक्षा व रोजगार के अवसरों को नकारा जाने और आवाजाही व सार्वजनिक स्थलों पर उपस्थिति पर पाबंदियां थोपे जाने से, महिलाओं का सार्वजनिक जीवन से दूर रखे जाने की प्रवृत्ति गहराई तक रच-बस रही है। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालेबान की वापसी के बाद देश में महिलाओं व लड़कियों के मानवाधिकारों पर गहरा संकट उपजा है। सत्तारूढ़ तालेबान प्रशासन ने हाल ही में महिला सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने का निर्णय लिया था, जोकि पहले ही रोजगार से दूर हैं, भले ही उनकी योग्यता व अनुभव कुछ भी हो। यूएन समिति ने कहा कि यह उनके शक्तिहीन बनाने का सुनियोजित व हानिकारक कृत्य है। वहीं, समिति के अन्य सदस्यों ने कहा कि महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं समेत अफगान नागरिक समाज को दोहा चर्चा में शामिल करने में विफल रहने से महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों पर कारगर ढंग से विचार-विमर्श नहीं हो पाएगा। उन्होंने आगाह किया कि महिलाओं व लड़कियों को इन चर्चाओं से दूर रखे जाने से दोहा में होने वाली बैठक की विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा।