केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को 2013 में 57 वर्षीय एक महिला की हत्या के लिए एक व्यक्ति को दी गई दोषसिद्धि और मौत की सजा को रद्द कर दिया। कहा कि निचली अदालत के समक्ष उसे दोषी ठहराने के लिए कोई सबूत नहीं था। वहीं, उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विधायक मणि सी कप्पन को झटका दिया है। न्यायालय ने धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के अपराधों के लिए उनके खिलाफ आरोप तय करने के विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी।महिला की हत्या मामले में न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और श्याम कुमार वीएम की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपीलकर्ता के खिलाफ लगाए गए किसी भी आरोप को साबित करने के लिए कानूनी रूप से ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा।
अदालत ने गिरीश कुमार को बरी करते हुए उसकी 10 साल लंबी कैद के लिए मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये भी दिए। पीठ ने अपनी दोषसिद्धि और मौत की सजा के खिलाफ कुमार की अपील को स्वीकार किया। कहा कि मामले में परिस्थितिजन्य साक्ष्य उसे अपराध के अपराधी के रूप में इंगित करने में विफल रहे हैं। उसके इस दावे को खारिज नहीं किया जा सकता है कि गवाह और सबूत पुलिस द्वारा लगाए गए थे।उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि 2013 में गिरफ्तार होने के बाद से वह 10 साल तक कारावास की सजा काट चुका है। 2018 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि भले ही पहली बार में उन्हें आरोपी के रूप में पेश करने का कोई कारण नहीं था, फिर भी कुमार को 10 साल तक कारावास की बदनामी झेलनी पड़ी। इसमें से उस पर अधिकांश समय मौत की सजा का खतरा मंडरा रहा था।