नई दिल्ली। देश की दो बड़ी जांच एजेंसियां ईडी और सीबीआई एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहीं हैं। ये स्थिति दो कारोबारियों की वजह से बनी है। ईडी अफसर का कहना है सीबीआई अफसर ने शिकायकर्ताओं के माध्यम से रिश्वत देने की कोशिश की थी,जिसे अस्वीकर करने पर उसके खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी गई। अब ये पूरा मामला कोर्ट में हैं। चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट में ईडी अफसर विशाल दीप का कहना है कि सीबीआई अफसरों की गड़बड़ी की जांच करने पर उन्हें फंसाया जा रहा है। उन्होंने सीबीआई पर रिश्वतखोरी के झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाया है। विशाल दीप शिमला में ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर हैं।
मामला शुरू हुआ पिछले साल 22 दिसंबर को। दो लोग भूपिंदर कुमार शर्मा (देव भूमि ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशंस के चेयरमैन) और रजनीश बंसल (हिमालयन ग्रुप ऑफ़ प्रोफेशनल इंस्टीटूशंस के चेयरमैन) ने दीप और अन्य ईडी अफसरों पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। दोनों का कहना था कि उनसे गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसे मांगे गए। दीप ने अपनी जमानत याचिका में कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश स्कॉलरशिप घोटाले की जांच कर रहे थे। इस दौरान एक सीबीआई डीएसपी और एक शिकायतकर्ता ने उन्हें रिश्वत देने की कोशिश की। दीप का आरोप है कि सीबीआई डीएसपी ने उन्हें धमकाया भी। कहा गया कि अगर रिश्वत नहीं ली तो उन्हें झूठे केस में फंसा दिया जाएगा और कहीं दूर ट्रांसफर कर दिया जाएगा। दीप का कहना है कि उन्होंने रिश्वत लेने से इनकार कर दिया। इसके बजाय उन्होंने पीएमएल एक्ट के सेक्शन 66 के तहत सीबीआई डीएसपी और शिकायतकर्ता के खिलाफ जांच शुरू कर दी। दीप का आरोप है कि उनके खिलाफ जो एफआईआर दर्ज हुई हैं, वो स्कॉलरशिप घोटाले के आरोपियों ने करवाई हैं। उन्होंने सीबीआई की शुरुआती जाँच को भी गलत बताया है। दीप ने सीबीआई पर अपने घर और ऑफिस की गैरकानूनी तरीके से तलाशी लेने का भी आरोप लगाया है।उनका कहना है कि 23 दिसंबर, 2024 को सीबीआई अफसर बिना वारंट और महिला कांस्टेबल के उनके घर घुस गए। उस समय उनके घर में उनकी पत्नी, बच्चे और बुज़ुर्ग माता-पिता मौजूद थे। दीप के मुताबिक, सीबीआई ने वो सबूत जब्त कर लिए जो उन्होंने सीबीआई अफसरों और शिकायतकर्ताओं के खिलाफ इकट्ठा किए थे।