हजारों साल पुराना है मां संकटादेवी का यह मंदिर, श्री कष्ण ने की थी स्थापना, जानें मान्यता

लखीमपुर खीरी शहर का पौराणिक संकटा देवी मंदिर करीब एक हजार साल से अधिक पुराना है. शहर के बीच स्थित यह मंदिर देवी भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है.  शहर के चार शक्ति पीठों में संकटा देवी मंदिर का प्रमुख स्थान है. इस मंदिर में माता लक्ष्मी की प्रतिमा है. इनके नाम पर ही शहर का नाम भी लक्ष्मीपुर हुआ, जो बाद में लखीमपुर कहलाया.

मंदिर का इतिहास
मंदिर की स्थापना रुकमणी की इच्छा पर पशुपतिनाथ जाते समय महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने की थी. पौराणिक मंदिर होने के कारण इसकी वास्तुकला भी एक हजार साल पुराने मंदिरों जैसी है. इसका विशाल परिसर भक्तों के बैठने के लिए पर्याप्त है. मां संकटा देवी का प्राचीन मंदिर न केवल लखीमपुर खीरी, बल्कि आसपास के जिलों के लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. पूरे नवरात्र यहां मेला लगता है. संकटादेवी मंदिर जहां स्थित है उस मोहल्ले का नाम भी संकटादेवी है. लोगों की इस प्राचीन देवी प्रतिमा में गहन आस्था है. मान्यता है कि मां संकटादेवी की उपासना करने से सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. मां संकटादेवी की आराधना करने के बाद यहां लोग शुभ कार्यों की शुरुआत करते हैं. विवाह के बाद नव दंपत्ति को मां के दर्शन के बाद ही घर में प्रवेश कराया जाता है.

भगवान श्रीकृष्ण ने की थी मां संकटादेवी की स्थापना
मां संकटादेवी की यह प्राचीन प्रतिमा भगवान श्रीकृष्ण ने स्थापित की थी. महाभारत युद्ध के बाद भगवान कृष्ण, रुकमणि और पांडव पशुपतिनाथ दर्शन को जाते समय इसी रास्ते से होकर गुजरे थे. यहां के रमणीक वन क्षेत्र को देख रुकमणि ने यहीं पर कुछ समय बिताने की इच्छा जताई तो भगवान श्रीकृष्ण उन्हें यहां प्रवास की अनुमति देकर पांडवों के साथ पशुपतिनाथ दर्शन के लिए नेपाल रवाना हो गए.  लौटते समय भगवान कृष्ण ने महालक्ष्मी की पाषाण प्रतिमा बनाकर यहां स्थापित की और पांडवों के साथ भगवान कृष्ण ने भी उनकी विधिवत पूजा अर्चना की थी.
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *