पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है ये व्रत, इस विधि से करें पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना

वटसावित्री व्रत का हिंदू धर्म में बहुत ही विशेष महत्व रखता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. और बरगद के पेड़ की विधि विधान से पूजा करती है. वटसावित्री का व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है जो इस वर्ष 6 जून 2024 दिन गुरुवार को वट सावित्री व्रत पूजा हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अपने परिवार की सुख समृद्धि की कमना के लिए व्रत रखती हैं. मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दौरान वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करके विधि-विधान से पूजा करने से पूजा का फल पूरा मिलता है.

वट सावित्री व्रत पूजा के संबंध में जांजगीर के पूरानी सिंचाई कॉलोनी दुर्गा मंदिर के पुजारी बसंत शर्मा महाराज ने बताया की वट सावित्री व्रत का पूजा हिन्दी में ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है इस साल 06 जून दिन गुरुवार को वट अमावस्या पढ़ रहा है इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत रहकर पूजा करती हैं. और धार्मिक मान्यताओं के बारे में बताया की जैसे सत्यवान जी की प्राण सावित्री जी लाए थे तो उसमें तीन दिन का समय लगा था. इसलिए तीन दिन तक उपवास रहकर पूजा करते है. लेकिन अब तीन दिन तक उपवास रहकर पूजा नहीं कर सकते तो 01 दिन अमावस्या के दिन उपवास रहकर पूजा करते है.

विधि विधान से होती है बरगद की पूजा
इस वट सावित्री व्रत पूजा का एक और धार्मिक मान्यता के बारे में बताया की एक ब्राम्हण और उसकी पत्नी रहते थे जो निसंतान थे जो संतान प्राप्ति के लिए ब्राम्हण पति पत्नी दोनों कोई हर महीने में अमावस्या को वट वृक्ष के पास जाकर पूजा करते थे जिसके कारण संतान की प्राप्ति हुई. इसी यादगार में सतयुग से वट सावित्री व्रत पूजा चले आ रही है.और ज्येष्ठ माह में अमावस्या के दिन पूजा करने के लिए बांस के 12 नग लकड़ी में चना दाल को पीसकर प्रतीक स्वरूप लगाया जाता है. और बरगद (वट) पेड़ के विधि विधान से पूजा करके 108 बार परिक्रमा की जाती है. और इस दिन महिलाएं दिनभर पूजा के बाद भी व्रत रखती है.
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *