भारत में 2020 में 12 लाख लोगों ने दम तोड़ा; मुस्लिमों पर सबसे ज्यादा असर
नई दिल्ली । कोरोना महामारी के पहले फेज में भारत सरकार के मुताबिक, करीब 1 लाख 48 हजार लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, अब नई रिपोट्र्स में सरकार के इन आंकड़ों को गलत बताया गया है। अलजजीरा ने दुनियाभर के 10 बड़े डेमोग्राफर्स और इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि 2020 में भारत में कोरोना के कारण सरकारी आंकड़ों से 8 गुना ज्यादा लोग मारे गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के पहले फेज में भारत में करीब 12 लाख लोगों ने जान गंवाई थी। साइंस एडवांस पब्लिकेशन ने 19 जुलाई को यह रिपोर्ट छापी, जिसे भारत सरकार के 2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट में दिए आंकड़े डब्ल्यूएसओ के आंकड़ों से भी डेढ़ गुना ज्यादा हैं। रिसर्च के मुताबिक, 2020 में उच्च-जाति के हिंदुओं की औसत जीवन दर में 1.3 साल की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, अनुसूचित जाति के लोगों की औसत जीवन दर में 2.7 साल की गिरावट आई। इसके अलावा भारत के मुस्लिम नागरिकों की जीवन दर पहले की तुलना में 5.4 साल घट गई।
पुरुषों से ज्यादा महिलाओं पर असर
कोरोना का असर पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में देखा गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि एक तरफ पुरुषों की औसत जीवन दर 2.1 साल जबकि महिलाओं की 3 साल कम हुई। पूरी दुनिया के आंकड़े देखें तो पुरुषों की जीवन दर में महिलाओं की तुलना में ज्यादा गिरावट आई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में कोरोना के पहले फेज और 2021 में डेल्टा वेव के साथ आए दूसरे फेज के बाद देश में महामारी की वजह से 4.81 लाख लोगों की मौत हुई। रिपोर्ट में इन आंकड़ों को गलत बताते हुए दावा किया कि भारत में असल में 20-65 लाख लोगों की मौत हुई थी, जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा थी।
सरकार ने डब्ल्यूएसओ के डेटा को खारिज किया
केंद्र सरकार ने इन आंकड़ों को खारिज कर दिया था। सरकार ने कहा था कि डेटा हासिल करने का का मॉडल गलत है और यह भारत पर सही तरह से लागू नहीं हो सकता। खास बात यह है कि ये आंकड़े सिर्फ डब्ल्यूएसओ के नहीं हैं। कई पब्लिक हेल्थ एक्सपट्र्स और रिसर्चर्स ने भी लगातार भारत सरकार के डेटा को गलत बताया है। सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ रिसर्च के डायरेक्टर प्रभात झा ने भी डब्ल्यूएसओ के आंकड़ों को सही ठहराया। उन्होंने कहा, हमने जो डेटा हासिल किया था, उसके मुताबिक भारत में कोविड-19 की वजह से करीब 40 लाख लोगों की मौत हुई थी। इनमें से 30 लाख की मौत डेल्टा वेव की वजह से हुई। नई रिपोर्ट पर भारत सरकार की अब तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, इसके बाद सरकार के आंकड़ों पर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं।