पीडब्ल्यूडी की टूटी सडक़ों के लिए लोकपथ, शहर के लिए कुछ नहीं
भोपाल । टूटी सडक़ों का दर्द प्रदेश सरकार ने समझा पर अधूरा, क्योंकि पीडब्ल्यूडी की टूटी सडक़ों की शिकायत के लिए लोकपथ एप तैयार करा दिया। जिस पर की गई शिकायत का निराकरण सात दिवस में अनिवार्य रूप से किया जाएगा, लेकिन नगर निगम क्षेत्र की सडक़ों के लिए कुछ भी नहीं है। नगर निगम की टूटी सडक़ों का दर्द सहने वाले शहरवासियों की पीड़ा का अहसास न तो नगर निगम के अफसरों को है और न ही प्रशासन, जनप्रतिनिधि और सरकार को है। शहर की यह टूटी सडक़ें शहर की छवि खराब करने के साथ साथ आमजन का स्वास्थ्य भी खराब कर रही हैं, लेकिन यह दर्द न नगरीय प्रशासन को दिखाई देता और न ही प्रदेश सरकार को। नगर निगम की हेल्पलाइन हेल्प लेस है और सीएम हेल्प लाइन पर सुनवाई नहीं ऐसे आमजन अपनी पीड़ा बताए तो कहां और किसे जो उसका समाधान दे सके।
न हेल्प लाइन और न सुनवाई
शहर की सडक़ों में गड्ढे या गड्ढों की सडक़ की शिकायत कहां की जाए इसके लिए अब तक नगर निगम की ओर से कोई भी हेल्प लाइन नंबर जारी नहीं किया गया है। जलभराव को लेकर जारी हेल्प लाइन नंबर पर गड्ढे भरने की शिकायत पर सुनवाई नहीं होती। कैलाश विहार में रहने वाले अरुण सिंह का कहना है कि सीएम हेल्प लाइन तक लगा चुके पर उसकी भी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके अलावा कोई ऐसा प्लेटफार्म नहीं है जहां पर शहरवासी अपने दर्द को बयान कर सकें, जिस पर अफसर मरहम लगा सकें। सीवर, सफाई, लाइट आदि के लिए जो हेल्प लाइन जारी की गई वह सब हेल्प लैस हैं।
गड्ढों से निकली मिट्टी, गहरे हुए गड्ढे
नगर निगम की अनदेखी झेल रहे शहर की सडक़ों के गड्ढे दिन प्रतिदिन गहरे और चौड़े होते जा रहे हैं। कुछ स्थानों पर नगर निगम ने गिट्टी और मुरम से गड्ढे भरने का दिखावा भी किया, लेकिन यह गिट्टी गड्ढे तो नहीं भर सकी पर कीचड़ जरूर कर दिया है। क्योंकि गिट्टी के साथ मिट्टी भी गड्ढों में भर दी गई। जब वर्षा का पानी गिरा तो गिट्टी बाहर आ गई और मिट्टी से कीचड़ हो गया। कुछ स्थानों पर डामर से पेच रिपेयरिंग किया लेकिन यह केवल दिखावा साबित हुआ क्योंकि चंद गड्ढों में पेच रिपेयरिंग कर इतिश्री कर ली। इसके अलावा पूरा क्षेत्र की सडक़ें जर्जर पड़ी है जिन पर ध्यान तक नहीं दिया जा रहा है।