एक-दूसरे पर मिसाइलों से हमले करने के बाद ईरान और पाकिस्तान अब संभलते दिख रहे हैं।
ईरान ने पहला हमला करके दावा किया था कि उसने पाकिस्तान की सीमा में सक्रिय आतंकी संगठन जैश अल-फदल के ठिकानों को तबाह किया है।
वहीं पाकिस्तान ने उसका जवाब बुधवार की रात को दिया और कहा कि हमने वहां सक्रिय बलूच उग्रवादियों को टारगेट किया है।
इसके बाद से चर्चा तेज थी कि क्या अब ईरान फिर से हमले करेगा? लेकिन अब ईरान ने जो बयान दिया है, उससे लगता है कि वह जंग को आगे बढ़ाने के मूड में नहीं है।
यही नहीं उसने इस्लाम की दुहाई देते हुए जंग से बचने जैसी बात कही है। ईरानी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन दिनों गाजा में यहूदी सत्ता अत्याचार कर रही है।
हमें उस पर फोकस करना चाहिए। हम अपने दुश्मनों और आतंकवादियों को मौका नहीं दे सकते कि वे हमारे बीच तनाव पैदा करें और उसका फायदा उठाएं।
ईरान ने कहा कि हम पाकिस्तान से दोस्ताना और भाईचारे वाले रिश्ते की उम्मीद करते हैं। हालांकि उसने यह भी कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादियों को शरण मिलना स्वीकार नहीं किया जा सकता, जो वहां से हमारे ऊपर अटैक करते हैं।
ईरान का यह भी कहना है कि पाकिस्तान के हमले में सीमांत गांव के 9 लोग मारे गए हैं, जो विदेशी हैं। माना जा रहा है कि ईरान अब युद्ध के मूड में नहीं है।
विदेशी मामलों के जानकार सुशांत सरीन भी लिखते हैं कि ईरान पर दबाव था कि वह फिलिस्तीन में जारी जंग के बीच कुछ ताकत दिखाए।
इसी के तहत उसने सीरिया, इराक और पाकिस्तान पर हमला कर दिया। उसे उम्मीद नहीं थी कि पाकिस्तान इस तरह से पलटवार करेगा।
लेकिन पाकिस्तान की सेना ने देश में फैली अस्थिरता के बीच इसे एक मौके के तौर पर देखा। माना जा रहा है कि अब पाकिस्तान में सेना को एक बार फिर से कमांड मिल जाएगी।
ईरानी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘ईरान और पाकिस्तान के बीच कुछ मतभेद हैं। लेकिन हम भाईचारे और दोस्ताना संबंधों में ही रहना चाहते हैं।
ईरान हमेशा यह मानता है कि पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते रहें। उन्हें कोई दुश्मन या आतंकवादी पटरी से न उतारें। इससे दुनिया फायदा उठाएगी।
यह वक्त एक रहने का है क्योंकि गाजा में हमारे भाइयों पर यहूदी सत्ता अच्याचार कर रही है। उनके अपराधों से निपटना जरूरी है, वे नरसंहार कर रहे हैं। यह मुद्दा इस्लामिक जगत को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।’