नई दिल्ली । सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 6.5-7 फीसदी की दर से बढ़ने के अपने अनुमान को दोहराया है। आर्थिक सर्वेक्षण में किए गए पूर्वानुमानों के आधार पर, सरकार का मानना है कि विकास में किसी महत्वपूर्ण गिरावट का जोखिम नहीं है। इसके बावजूद, आर्थिक विशेषज्ञ आगामी जीडीपी आंकड़ों और मांग के संकेतकों पर नजर बनाए हुए हैं।
कुछ क्षेत्रों में धीमी गति हो सकती है, लेकिन अन्य क्षेत्रों से मांग बढ़ रही है
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में यह कहा कि कुछ क्षेत्रों में धीमी गति हो सकती है, लेकिन अन्य क्षेत्रों से मांग बढ़ रही है। उन्होंने भी उज्ज्वल ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता वस्तुओं और टिकाऊ सामानों की शहरी मांग में गिरावट को जिक्र किया है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें किसी बड़ी समस्या की संभावना नहीं नजर आती। इस समय पर सरकार के बयान आया है जब दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी होने वाले हैं। अजय सेठ ने मुद्रास्फीति पर चिंता को भी खारिज करते हुए कहा कि कुछ खाद्य उत्पादों की कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन यह अस्थायी है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति कोई गंभीर चिंता का विषय नहीं है। सेठ ने सरकार के केंद्रीय कैपेक्स बजट के बारे में भी बात की, कहते हुए कि यह पिछले साल की तुलना में काफी अधिक होगा। सरकार का यह बयान अन्य मुद्दों की तरह उत्साहवर्धक है और विश्वास दिलाता है कि अर्थव्यवस्था में अक्सर होने वाले चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा।