रायपुर
ठंड के मौसम की शुरूआत हो चुकी है। इससे बच्चों में निमोनिया का खतरा 40 से 50 फीसदी बढ़ जाता है। इसकी सही समय पर पहचान करके इलाज न किया जाए तो जानलेवा भी साबित हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि कई बच्चों की मौत निमोनिया से होती है। प्राय: बाल एवं शिशु रोग विभाग की ओपीडी में ठंड के समय निमोनिया से पीड़ित बच्चों की संख्या में इजाफा हो जाता है। र ठंड के समय मौसम अचानक बदलने से फेफड़ों में होने वाले एक तरह के संक्रमण से सांस लेने में परेशानी होती है।
यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। चिकित्सक इसे ही निमोनिया कहते हैं। अगर निमोनिया के लक्षण बच्चों या बुजुर्गों में दिखें तो तुरंत डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। सामान्यत: इसके लक्षण में तेज बुखार,खांसी आना,सांस का तेज तेज चलना ,पसली तेज चलना दिखने या महसूस करने से पता चलता है।
बच्चों का बचाव कैसे करें
समय पर बच्चे का टीकाकरण कराएं। निमोनिया से बचाव करने के लिए पीसीवी (न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन) के तीन टीके लगाए जाते हैं। सफाई का ध्यान रखें। कीटाणु को फैलने से रोकें, बच्चों के हाथों बार-बार साफ करते रहें । खांसते और छींकते समय बच्चे की नाक और मुंह पर रुमाल या कपड़ा रखें । बच्चे को प्रथम छह माह तक मां का ही दूध दें। मां का दूध बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है। इसमें एंटीबाडीज होती हैं जो बच्चे को रोगों से लडऩे में मदद करती है। सर्दी से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाएं, ठंडी हवा से बचाव के लिये कान को ढंके, पैरों के गर्म मोजे पहनाएं। नंगे पैर ना घूमने दें। ठंडे पानी से दूर रखें।