बजट में दिखेगा लाड़ली बहनों का दम

महिलाओं के लिए अलग से रहेगा बजट प्रावधान

भोपाल। विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए दमदारी से खड़ी रहने वाली लाड़ली बहनों पर बजट में सरकार की मेहरबानी देखने को मिलेगी। राज्य का बजट तैयार कर रही सरकार ने अब इस वर्ग पर फोकस किया है।  जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के बजट में लाड़ली बहना के लिए करीब 15000 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा जा रहा है। साफ है कि लाड़ली बहना योजना अब मार्च 2025 तक नियमित रहेगी। प्रति महिला 1250 रुपए हर माह के मान से जनवरी 2024 से लेकर अभी तक 1.29 करोड़ महिलाओं को 9 हजार 455 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं। इसके अलावा मोहन यादव सरकार विधानसभा चुनाव से पहले किए तमाम वादे पूरे करने के लिए पैसों का प्रावधान भी बजट में बढ़ाने वाली है।
गौरतलब है की मप्र सरकार की कोशिश है की बजट में भी सभी वर्गों को साधा जाए। ऐसे में पिछले बार की तरह इस बार भी महिलाओं के लिए अलग से बजट प्रावधान रहेगा। इस वर्ग के लिए अलग से बजट पेश होगा। इसी तरह किसानों और बच्चों के लिए भी अलग से बजट पेश किया जाएगा। इसे कृषि बजट एवं चाइल्ड बजट नाम दिया गया है। वित्त विभाग ने राज्य के सभी विभागों को पत्र जारी करके कहा है कि वे बजट प्रस्ताव भेजें। महिला, बच्चों एवं किसानों के बजट के प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में देने को गया है। इसके लिए दो श्रेणी में प्रस्ताव मांगे गए हैं। एक श्रेणी में वे योजनाएं और कार्यक्रम शामिल हैं, जिसमें शत प्रतिशत बजट की जरूरत हो, जबकि दूसरी श्रेणी में तीस प्रतिशत का प्रावधान रखा गया है। साथ ही विभागों से यह भी कहा गया है कि जिन योजनाओं की अब उपयोगिता नहीं है, या फिर जो योजनाएं नहीं चल रही हैं। उनके लिए बजट की राशि न मांगी जाए। उनका बजट शून्य रहेगा।

41 संकल्प पूरे हो चुके


मप्र में सरकार का सबसे अधिक फोकस महिलाओं पर होता है। उज्वला योजना में तीन चरणों में 88 लाख 90 हजार से अधिक मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। साथ ही 45. 89 लाख बहनों को 450 रुपए में गैस सिलेंडर की री-फिलिंग की गई है। यह आगे भी जारी रहेगी। इस पर अभी 118 करोड़ रुपए खाते में दिए गए।  डॉ. यादव का कहना है कि 456 संकल्प लिए गए हैं। इसमें से 41 पूरे हो चुके हैं। 218 पर काम तेजी से चल रहा है। गौरतलब है कि डॉ. मोहन सरकार के छह माह का रिपोर्ट कार्ड बता रहा है कि केंद्र की योजनाओं में 188 प्रतिशत तक सफलता अर्जित कर ली गई। पीएम आवास शहरी 93.72 प्रतिशत, पीएम आवास ग्रामीण 94.85 प्रतिशत, जल जीवन मिशन 84.23 प्रतिशत, आयुष्मान भारत योजना 84.84 प्रतिशत, पीएम ग्राम सडक़ योजना 99.96 प्रतिशत, पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना 100 प्रतिशत, स्वामित्व कार्ड योजना 100 प्रतिशत, सॉइल हेल्थ कार्ड 188.38 प्रतिशत, किसान क्रेडिट कार्ड 100 प्रतिशत, अटल पेंशन योजना 100 प्रतिशत, पीएम स्वानिधि 157.25 प्रतिशत और अमृत सरोवर योजना 149 प्रतिशत तक सफलता अर्जित कर ली गई।

 

स्वरोजगार पर भी फोकस

बजट में युवाओं के साथ स्वरोजगार को भी फोकस में रखा जा रहा है। अभी सात लाख युवाओं को 5 हजार करोड़ रुपए का स्वरोजगार ऋण वितरित हुआ। इसी तरह सीएम सीखो कमाओ योजना में 8 हजार ट्रेनी को 6 करोड़ 60 रुपए स्टायपेंड मिला है। इसे भी जारी रखा जा सकता है। वहीं 55 सरकारी कॉलेजों को पीएम उत्कृष्टता कॉलेज के रूप में विकसित करने 485 करोड़ का प्रावधान किया गया है। 8 सरकारी विवि में इंफ्रास्ट्रक्चर लिए पीएम उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत भी 400 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मप्र उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात में राष्ट्रीय औसत से आगे निकल गया है। इसे बरकरार रखने की कवायद की जा रही है। जरूरतों के हिसाब से 35 नए व्यावसायिक विषय पाठ्यक्रम में शामिल हो गए हैं। मेडिकल कालेज पीपीपी मोड पर चलेंगे। उज्जैन में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में 10 हजार करोड़ की 60 से अधिक इकाइयों की शुरुआत हुई। इससे 17 हजार को रोजगार की उम्मीद बनी है। एक लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मप्र को मिल चुके हैं। इनको जमीन पर उतारने का रोडमैप बन रहा है। संभावना है कि जल्द ही नई औद्योगिक नीति सामने आए। इन्फ्रास्ट्रक्चर में इंदौर में 350 करोड़ से एलिवेटेड कॉरिडोर बन रहा है। भोपाल, देवास, ग्वालियर, जबलपुर में भी काम चालू करने की तैयारी है। सीएम शहरी क्षेत्र इंका के तहत 1630 करोड़ से चौथे चरण की मंजूरी दे दी गई है। राज्य सरकार ने 1450 किमी लंबे रामवन गमन पथ के निर्माण की भी तैयारी कर ली है। धार्मिक स्थलों के सुधार का काम भी इस साल तेजी पकड़ेगा। अयोध्या में मप्र की धर्मशाला बनाई जाएगी।

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