हाईकोर्ट ने कहा : आर्य समाज में की गई शादी मान्य है या नहीं, परिवार न्यायालय करेगा फैसला

बिलासपुर। हाईकोर्ट के समक्ष ऐसा मामला आया है, जिसमें किसी लड़की से शादी का झांसा देकर प्रेम किया व अन्य से  शादी करने सगाई कर ली। प्रेमिका को इसकी जानकारी होने पर उसने पुलिस से शिकायत की शिकायत के बाद प्रेमी ने जेल जाने से बचने प्रेमिका से आर्य समाज में विवाह किया। कुछ दिन बाद प्रेमी व उसके परिवार वालों ने पत्नी को मायके में रहने मजबूर किया। पति से अलग होने पर पत्नी ने हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत धारा 125 के तहत आवेदन प्रस्तुत कर पति से भरण पोषण राशि दिलाने की मांग की।

परिवार न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए पति को 2000 रुपए प्रतिमाह भरण पोषण राशि देने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील की। दूसरी ओर पत्नी ने भी भरण पोषण राशि 15000 रुपए करने याचिका पेश की। पत्नी ने याचिका में कहा कि पति ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय कर प्रति माह 50000 रुपए कमाता है।

मामला हिंदू मैरिज एक्ट का है या नहीं

मामले में पति ने कहा कि वह प्राइवेट काम कर प्रति माह 10000 रुपए कमाता है। इसके अलावा मामला हिन्दू मैरिज एक्ट का नहीं बनता है क्योंकि आर्य समाज में किया गया विवाह मान्य नहीं है। इस आधार पर परिवार न्यायालय के अंतरिम आदेश को निरस्त करने की मांग की गई। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पति को मामले में अंतिम निर्णय आने तक 2000 रुपए प्रति माह भरण पोषण व्यय देने का निर्देश दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *