मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई जनजाति सलाहकार परिषद की पहली बैठक

रायपुर

 मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य में जनजाति समुदाय की जनसंख्या 32 प्रतिशत है। इनका समग्र विकास हमारे राज्य की प्राथमिकता है। यह परिषद केवल विचार-विमर्श का मंच नहीं, बल्कि नीति-निर्माण और निर्णय-क्रियान्वयन की महत्वपूर्ण संवैधानिक इकाई है।

वह मंगलवार को विधानसभा परिसर स्थित समिति कक्ष में जनजाति सलाहकार परिषद की पहली बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बैठक में रखे गए सभी बहुमूल्य सुझावों पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश देते हुए अधिकारियों से कहा कि जनजातीय समुदाय के जाति प्रमाण पत्र से जुड़ी त्रुटियों के निवारण के लिए विस्तृत अध्ययन कर समाधान सुनिश्चित किया जाए।

जनजातीय आस्था स्थलों के संरक्षण और विकास के लिए देवगुड़ी के साथ सरना स्थलों को भी शामिल करने की व्यवस्था की जाए। शिक्षा में सुधार के लिए आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकविहीन और एकल शिक्षक स्कूलों की समस्या को शीघ्रता से हल किया जाए।

योजनाओं को समुदाय तक पहुंचाएं- नेताम
जनजातीय समुदाय की आर्थिक सशक्तिकरण योजनाओं पर प्रभावी अमल किया जाए, जिससे उनकी प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो। कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि राज्य जनजाति सलाहकार परिषद, सरकार और जनजातीय समाज के बीच एक मजबूत सेतु का कार्य करती है।

सभी सदस्य प्रदेश के एक-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए जिम्मेदारी है कि शासन की योजनाओं को प्रभावी रूप से समुदाय तक पहुंचाएं। उन्होंने परिषद के लिए निर्णयों को नीति-निर्माण में प्रभावी रूप से शामिल करने का आश्वासन दिया।

बैठक में आदिम जाति व अनुसूचित जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने विभिन्न एजेंडा बिंदुओं पर प्रेजेंटेशन दिया और परिषद के समक्ष विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप, विधायक लता उसेंडी, शंकुतला सिंह पोर्ते, उद्देश्वरी पैंकरा आदि उपस्थित थे।

सदस्यों ने सामाजिक-आर्थिक विकास से जुड़े दिए सुझाव

बैठक में परिषद के सदस्यों ने जनजातीय समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर सुझाव प्रस्तुत किए।
    जनजातीय बालिकाओं के लिए छात्रावासों की संख्या और सुविधाओं में वृद्धि की जाए।
    जनजातीय बहुल क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर रोजगार व भर्ती प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना।
    स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर उपलब्धता व जनजातीय क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार।
    आदिवासियों की पारंपरिक आजीविका को सशक्त करने के लिए विशेष योजनाएं लागू करना।
    जनजातीय कला, संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष योजनाएं हों।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *