‘ईश्वर का अपना देश’ कहे जाने वाले केरल को नेशनल जियोग्राफिक ने दुनिया के 10 पैरेडाइज या स्वर्ग में शामिल किया था, लेकिन मंगलवार को इस राज्य ने नरक जैसे हालात का सामना किया।
वायनाड में हुए भूस्खलन में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों को बचाया जा चुका है।
सेना, एनडीआरएफ और कई एजेंसियां लापता लोगों का पता लगाने और मुश्किल में फंसी जनता को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। बुधवार को भी यह सिलसिला जारी है और मौसम की तरफ से भी फिलहाल केरल को राहत के आसार कम हैं।
कहां हुआ सबसे ज्यादा असर
वायनाड में 4 घंटे के दौरान आई इस त्रासदी ने हजारों को प्रभावित किया है। इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित जिले मुड्डकई, चूरामाला, अट्टमाला और नूलपुझा रहे।
आशंका यह भी जताई जा रही है कि कई लोग चालियार नदी में बह गए हैं। आंकड़े बता रहे हैं कि सेना की मदद से अस्थाई पुल का इस्तेमाल कर एक हजार से ज्यादा लोगों को बचाया जा चुका है।
क्या हो सकती है केरल में तबाही की वजह?
कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (CUSAT) में वायुमंडलीय रडार अनुसंधान आधुनिक केंद्र के निदेशक एस. अभिलाष ने कहा कि सक्रिय मानसूनी अपतटीय निम्न दाब क्षेत्र के कारण कासरगोड, कन्नूर, वायनाड, कालीकट और मलप्पुरम जिलों में भारी वर्षा हो रही है, जिसके कारण पिछले दो सप्ताह से पूरा कोंकण क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि दो सप्ताह की वर्षा के बाद मिट्टी भुरभुरी हो गई।
अभिलाष ने कहा कि सोमवार को अरब सागर में तट पर एक गहरी ‘मेसोस्केल’ मेघ प्रणाली का निर्माण हुआ और इसके कारण वायनाड, कालीकट, मलप्पुरम और कन्नूर में अत्यंत भारी बारिश हुई, जिसके परिणामस्वरूप भूस्खलन हुआ।
अभिलाष ने कहा, ‘बादल बहुत घने थे, ठीक वैसे ही जैसे 2019 में केरल में आई बाढ़ के दौरान नजर आये थे।’ उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर बहुत घने बादल बनने की जानकारी मिली है।
उन्होंने कहा कि कभी-कभी ये प्रणालियां स्थल क्षेत्र में प्रवेश कर जाती हैं, जैसे कि 2019 में हुआ था। अभिलाष ने कहा, ‘हमारे शोध में पता चला कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर में तापमान बढ़ रहा है, जिससे केरल समेत इस क्षेत्र के ऊपर का वायुमंडल ऊष्मगतिकीय (थर्मोडायनेमिकली) रूप से अस्थिर हो गया है।’ वैज्ञानिक ने कहा, ‘घने बादलों के बनने में सहायक यह वायुमंडलीय अस्थिरता जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हुई है।
आंकड़ों में समझें
वायनाड में प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए 45 कैंप तैयार किए गए हैं, जहां 3 हजार 96 लोगों को रखा गया है। मेडिकल टीम समेत सेना के 225 जवानों को बचाव कार्य के लिए जिले में तैनात किया गया है।
वहीं, 140 जवान तिरुवनंतपुरम में स्टैंड बाय पर बताए जा रहे हैं। राहत कार्य के लिए भारतीय वायुसेना (IAF) के 2 हेलीकॉप्टर Mi-17 और ALH लगाए गए हैं। अब तक 143 लोग भूस्खलन में जान गंवा चुके हैं।
बचाए गए और घायल हुए 120 से ज्यादा लोगों का वायनाड के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज जारी है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा है कि 116 शवों का पोस्टमॉर्टम पूरा हो चुका है।
2 लाख रुपये की सहायता की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से बातचीत की है। उन्होंने केंद्र की तरफ से राज्य को हर संभव मदद दिए जाने का भरोसा दिया है।
साथ ही पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का भी ऐलान किया है। साथ ही घायलों को 50 हजार रुपये दिए जाएंगे।
कैसा रहेगा केरल का मौसम
केरल के कम से कम 12 जिलों को भारी बारिश से राहत के आसार कम हैं। इनमें मंगलवार को त्रासदी झेल चुका वायनाड भी शामिल है।
केरल सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इडुक्की, त्रिशूर, पलक्कड़, मलप्पुरम, कोझिकोड, वायनाड, कन्नूर और कासरगोड़ में रेड अलर्ट जारी किया गया है। साथ ही पत्थनमथिट्टा, अलपुझा, कोट्टायम और एर्नाकुलम में ऑरेंज अलर्ट है।
बचाव और राहत
डीएससी सेंटर के कमांडेंट कर्नल परमवीर सिंह नागरा ने मंगलवार को बताया कि सेना पिछले 15 दिन से अलर्ट पर थी और पहाड़ी जिले में विनाशकारी भूस्खलन के बाद मंगलवार सुबह केरल सरकार ने उससे संपर्क किया।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि यह एक ‘बड़ी आपदा’ थी और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) तथा राज्य की टीम भी सक्रिय रूप से शामिल हैं तथा नौसेना और वायुसेना भी समान रूप से योगदान दे रही हैं।
कर्नल नागरा ने बताया कि बचाव अभियान के लिए नई दिल्ली से कुछ खोजी कुत्ते भी लाए जा रहे हैं। कुछ पुल उपकरण भी रास्ते में हैं। उन्होंने कहा, ‘पुल बह गया है।
इसलिए पुल काफी महत्वपूर्ण है, अब एक अस्थायी पुल बनाया गया है। इसके साथ ही, लगभग 1000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। कुछ शव भी निकाले गए हैं। अब भी 18 से 25 लोग फंसे हैं।’
6 सालों से मौसम की तबाही देख रहा है केरल
अगस्त 2018 में केरल ने ‘राज्य की सदी की बाढ़’ का सामना किया, जिसमें 483 लोगों की मौत हो गई थी। केंद्र ने भी इसे ‘गंभीर प्राकृतिक आपदा’ माना था। इसके बाद 2019 में केरल का सामना पुथुमाला में भूस्खलन से हुआ और यहां 17 लोगों की जान चली गई। भूस्खलन का सिलसिला यहां नहीं थमा और अक्टूबर 2021 में इडुक्की और कोट्टायम जिलों में 35 लोगों की मौत हुई।
पीटीआई भाषा की रिपोर्ट में IMD यानी भारत मौसम विज्ञान विभाग के हवाले से बताया गया है कि 2021 में भारी वर्षा और बाढ़ से संबंधित घटनाओं ने केरल में 53 लोगों की जान ली थी। राज्य सरकार के अनुसार, अगस्त 2022 में भारी बारिश के कारण राज्य में भूस्खलन और बाढ़ से 18 लोगों की मौत हुई।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, 2015 से 2022 के बीच देश में सबसे ज्यादा भूस्खलन की घटनाएं केरल में हुईं। मंत्रालय के मुताबिक, इस अवधि में देश में भूस्खलन की 3782 घटनाएं हुई जिनमें से 2,239 घटनाएं केरल में हुईं। ताजा आंकड़ों को मिला लें, तो 6 सालों में प्राकृतिक घटनाओं में 714 लोगों की मौत हो चुकी है।
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