भारत के दक्षिण और श्रीलंका के पश्चिम में हिन्द महासागर में बसा द्वीपीय देश मालदीव हाल के दिनों
में आतंक और नशीले पदार्थों की स्मगलिंग का बड़ा केंद्र बन चुका है। इसका खुलासा खुफिया सूत्रों ने किया है।
शीर्ष खुफिया सूत्रों ने एक चैनल को बताया है कि मालदीव न केवल इस्लामिक स्टेट (ISIS) के गुर्गों का बल्कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों और नशीले पदार्थों के तस्करों का भी बड़ा केंद्र बन चुका है।
खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मालदीव में पिछले दिनों लश्कर-ए-तैयबा के अड्डे की भी पहचान हुई है।
सीएनएन-न्यूज 18 से बात करते हुए खुफिया सूत्रों ने कहा कि मालदीव के द्वीपों में नशीले पदार्थों का व्यापार बहुत आम है और इसका संबंध स्थानीय जेलों में बंद गैंगस्टरों से है।
उन्होंने कहा, मालदीव इस्लामी कट्टरपंथियों का सामना कर रहा है जो कुछ बड़े व्यापारिक घरानों के साथ मिलकर स्थानीय सरकारों को ना सिर्फ कंट्रोल कर रहे हैं बल्कि उनका वित्त पोषण कर रहे हैं।
खुफिया जानकारी के मुताबिक, ऐसे व्यापारिक घराने आगे बढ़ने के लालच में चीन के आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय (MSS) और पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की ओर आकर्षित हो गए हैं। उनके मुताबिक, लश्कर के कई नेता अपनी वैश्विक गतिविधियों का विस्तार करने के लिए मालदीव में बस गए हैं।
भारतीय पर्यटकों की सुरक्षा के लिए 2010 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम के हस्तक्षेप के बाद यह निर्णय लिया गया कि 2008 में 26/11 मुंबई हमले के बाद मालदीव लश्कर के आतंकियों को शरण नहीं देगा। बावजूद इसके मालदीव में ना सिर्फ लश्कर-ए-तैयबा ने पांव पसारे हैं बल्कि नशीले पदार्थों की तस्करी का काला कारोबार खूब बढ़ा है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, दक्षिण एशिया में नशीले पदार्थ और आतंकी नेटवर्क अक्सर आपस में जुड़े होते हैं।
उनके अनुसार, प्रमुख ISIS-के ऑपरेटिव उमर निसार भट (उर्फ कासिम खोरासानी) जिसे 2021 में भारतीय एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किया गया था, ने अपने कबूलनामे में कहा कि वह बांग्लादेश और मालदीव स्थित इस्लामिक अमीर (प्रमुख) के साथ नियमित संपर्क में था, और वह वहां आतंकवादी प्रचार नेटवर्क का विस्तार कर रहा था।
खोरासानी पाकिस्तानी नागरिक हुजैफा-अल-बकिस्तानी के संपर्क में भी था, जो अफगानिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था। सूत्रों ने बताया कि उससे पूछताछ पर भारतीय एजेंसियों ने यह डेटा एफबीआई को दिया था जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था। खोरासानी ने पूछताछ में भारतीय एजेंसियों को बताया था कि उसका मुख्य उद्देश्य साइबर प्रोपेगेंडा और आतंकी साहित्य का प्रसार करना था और इस कारण से वह मालदीव स्थित आईएसआईएस मॉड्यूल के संपर्क में था। वह भारत के खिलाफ मिशन पर काम कर रहा था।
खोरासानी से पूछताछ में शामिल अधिकारियों के अनुसार, वह मालदीव स्थित आईएसआईएस प्रमुख द्वारा आपूर्ति की गई सामग्री के कारण अंसारी (सैनिक) बनने वाला था, लेकिन शुरुआती चरण में पकड़ा गया था।
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