कर्जा ले लेना लेकिन जमीन मत बेचना: सीएम

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि गांव के लोगों से निवेदन है कि जमीन मत बेचना। कर्जा ले लेना लेकिन जमीन मत बेचना। बदलते दौर में एमपी की स्थिति बदलने वाली है। एमपी के गांवों का माहौल बदलेगा। खेती से जो आमदनी बढ़ेगी, उससे अब हम पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ेंगे, यह मैं गारंटी ले सकता हूं। निश्चित रूप से पूरे क्षेत्र में बदलाव आने वाला है। किसान की आमदनी का साधन खेती और पशुपालन है।
राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित आत्मनिर्भर पंचायत समृद्ध मध्यप्रदेश कार्यक्रम में मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि गांवों में भारत की आत्मा बसती है। गुलामी का दंश झेलने के बाद भी गांव का स्वाबलंबन नहीं बदला। गांवों की परिस्थिति नहीं बदली है। गांव में 25 पुलिस वाले थाना संभाल लेते हैं क्योंकि गांव के लोगों के लिए पुलिस की जरूरत नहीं होती। पुलिस तो गुंडों के लिए होती है। गांवों के लोग तो अनुशासित जीवन जीते हैं, उनके घर सामान्य बुलावे के लिए भी पुलिस पहुंचती है तो उसे अच्छा नहीं मानती। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी केन बेतवा नदी के लिए एक लाख करोड़ रुपए देने वाले हैं जिसमें से 45 हजार करोड़ एमपी और 45 हजार करोड़ यूपी को मिलेगा। इससे बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने का काम होगा।

कांजी हाउस गायों के लिए जेल, हम गौशाला बनाएंगे


सीएम यादव ने कहा कि नगर निकायों में गायों को रखने के लिए कांजी हाउस बनाए जाते हैं। वास्तव में कांजी हाउस जेल जैसा है। हम गौशाला बनाएंगे और जिस गौमाता को लोग पाल नहीं पाएंगे उसे गौशाला में रखेंगे। इसके लिए सरकार 40 रुपए प्रति गाय अनुदान देंगे। जो दस से अधिक गाय देगा, उसे भी अनुदान देंगे। दूध पर भी बोनस देने की तैयारी में राज्य सरकार जुटी है। साथ ही बछिया खरीदने की गारंटी भी सरकार देगी।

मतभेद हैं तो भुलाने का काम करें अफसर-जनप्रतिनिधि- मंत्री पटेल

कार्यक्रम में पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि नेक्स्ट स्टेप असफलता के कदम को समाप्त करने वाला होता है। छोटा कदम बड़े कदम की सफलता के लिए होता है। आपस में समन्वय के लिए आज जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला पंचायत सीईओ आज यहां जुटे हैं। यहां से समन्वय का गुर सीख कर जाएंगे। पंचायतें आत्मनिर्भर होंगी तो मध्यप्रदेश भी आत्मनिर्भर और सशक्त होगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव मजदूरों के हितों के लिए फैसला लेते हैं और यह उन्होंने अपने पहले फैसले में साबित भी किया है। पटेल ने कहा कि आज दो सत्र होंगे जिसमें कृषि को स्थायित्व देना और फायदे वाला बनाना होगा। इसके बाद पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने पर भी चर्चा होती है। अगर मतभेद हैं तो उसे भुलाकर आगे बढऩे का रास्ता खोजें। बड़े शहरों से सटी पंचायतों को कैसे और सक्षम बनाया जा सकता है? यह देखना होगा।

ग्रुप डिस्कसन करें जनप्रतिनिधि-अधिकारी, सरकार लेगी निर्णय


पंचायत मंत्री पटेल ने कहा कि केंद्र पोषित योजनाओं से कैसे अधिकतम लाभ लिया जा सकता है। यह अधिकारियों को देखना होगा। पेसा कानून आने के बाद नए कानून का संरक्षण हुआ है। उस पर भी विचार करना होगा। वन क्षेत्रों से सटी पंचायतों के लिए भी विचार करना है। वित्तीय अनुशासन के साथ हर पंचायत का लेखा जोखा रखना ही होगा। मनरेगा जैसी मजदूरी की योजनाएं जो रोजगार न दे पाएं तो गंभीर बात है। जाबकार्ड धारक को मजदूरी देना ही है। जल जीवन मिशन का पानी हर घर तक पहुंचेगा तो व्यवस्था सुधार होगा। उन्होंने कहा कि ग्रुप डिस्कसन भी किया जाएगा और जो सबकी चर्चा के बाद रिजल्ट आएगा उस पर सरकार विचार करके सरकार उस पर निर्णय लेगी।

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