Waqf Board के अंतर्गत दिल्ली की मस्जिदों में इमाम और मुअज्जिनों का वेतन पिछले एक-दो सालों से रुका हुआ है। हालांकि उप राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद 5-5 महीने की किश्त जारी की गई थी। जिससे इमामों का वेतन दिया गया था। लेकिन अभी भी कई इमामों की केवल दो ही किस्तें मिली है। वहीं कुछ इमामों की सैलरी रुकी हुई है। जिससे वजह से इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक वक्फ इमाम ने बताया कि दिल्ली में करीब 185 इमाम हैं जिनका वेतन रुका हुआ है।
Waqf इमाम कारी ग्यासुर हसन ने कहा कि हम करीब 8 साल से अपने वेतन को लेकर बेहद परेशान हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जब से आम आदमी पार्टी की सरकार आई है और अमानतुल्लाह खान चेयरमैन बने हैं, तब से हमें परेशानी हो रही है। हमारा वेतन कभी समय पर नहीं आया। उन्होंने बताया कि वे सीओ से भी मिल चुके है और अरविंद केजरीवाल के आवास पर भी गए, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। जिसके बाद वे आतिशी से भी मिलने गए, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। इमाम ने कहा कि जिस तरह से हमारा 20-25 महीने का वेतन रुका हुआ है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
दिल्ली में एंग्लो अरेबिक स्कूल के इमाम गाजीउद्दीन मुफ्ती मोहम्मद कासिम ने बताया कि यह मामला काफी समय से चल रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ इमाम ऐसे हैं जिन्हें करीब 30 महीने से वेतन नहीं मिला है। वहीं कुछ इमामों को पिछले 15-16 महीने से तनख्वाह नहीं मिली। गाजीउद्दीन ने कहा कि असल मुद्दा यह है कि वक्फ बोर्ड में मस्जिद सेक्शन ने उच्च अधिकारियों को गुमराह किया है और गलत रिपोर्ट दी है, जिसके कारण वक्फ बोर्डइमामों को अवैध कहता है। मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि वक्फ बोर्ड किस तरह से इमामों को अवैध कह रहा है।
इमाम गाजीउद्दीन ने कहा कि अब जब सरकार बड़ा अनुदान दे रही है, इसके बावजूद इमामों को 15-30 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है, जबकि बोर्ड ने सभी इमामों को अनुदान पर रखा है। उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। कहा जाता है कि पिछले चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने कुछ लोगों को अवैध तरीके से नियुक्त किया है, जबकि RTI के जवाब में यही बोर्ड खुद कोर्ट में कह रहा है कि चेयरमैन को ईमान और मौलाना की नियुक्ति का अधिकार है।