केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने गांधी परिवार पर अमेठी के किसानों के साथ छल करने और औद्योगिकीकरण के नाम पर उनकी जमीन हड़पने का आरोप लगाया है।
2019 से पहले गांधी परिवार और कांग्रेस का गढ़ रहे अमेठी की बीजेपी सांसद ईरानी ने कहा कि गांधी परिवार ने वहां औद्योगिकीकरण का सपना दिखाकर किसानों की 30 एकड़ जमीन सिर्फ 600 रुपये किराए पर हथिया ली है। ईरानी ने ANI की स्मिता प्रकाश से पॉडकास्ट में ये बातें कही हैं।
ईरानी ने कहा, “मुझे लोगों को यह बताने में थोड़ा समय लगा लेकिन मुझ पर विश्वास करें। वास्तविकता में गांधी परिवार द्वारा अमेठी में लोगों की जमीन हड़पी जा रही थी।
मैंने संसद में भी यह कहा है। 600 रुपये में 30 एकड़ जमीन किराए पर ली गई है। गांधी परिवार ने वहां अपने लिए एक अच्छा, सुंदर कॉम्प्लेक्स बनाया है।
” ईरानी ने कहा, “यह एक विदेशी विचार था कि एक फाउंडेशन के प्रमुख – सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा – को अमेठी में किसानों की जमीन हड़पने का बहुमत प्राप्त है। उन्होंने वहां औद्योगिकीकरण के नाम पर जमीन ली है।”
लोकसभा चुनावों से कुछ महीने पहले केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने आरोप लगाया कि एक भूखंड, जिसका उपयोग अल्पसंख्यक छात्राओं के लिए किया जाना था, उसे भी गांधी परिवार ने एक कार्यालय के लिए हड़प लिया। ईरानी ने दावा किया, ”जो लड़कियां गांधी परिवार के खिलाफ गईं और उनके खिलाफ धरना दिया, उन्हें जेल में डाल दिया गया।”
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी अमेठी में राहुल गांधी से हार गई थीं लेकिन 2019 में उन्होंने गांधी परिवार का गढ़ रहे इस संसदीय सीट को अपनी झोली में कर लिया। 47 वर्षीय ईरानी नरेंद्र मोदी कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री हैं।
पॉडकास्ट के दौरान, स्मृति ईरानी ने अपने शुरुआती जीवन पर भी प्रकाश डाला और बताया कि कैसे उन्होंने टाटा स्कॉलरशिप हासिल की थी। बीजेपी नेता ने कहा कि वह इस आरोप से तंग आ गई थीं कि वह जो कुछ भी हैं, अपने पिता के रहमो-करम की वजह से हैं। इसलिए अपनी खुद की पहचान बनाने के लिए वह दिल्ली से मुंबई चली गई थीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”मैं सिर्फ अपनी योग्यता के आधार पर कुछ बनना चाहती थी।”
ईरानी ने साझा किया, “हमारे परिवार में बहुत मनमुटाव था क्योंकि मेरे माता-पिता अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं से थे। राजनीति एक परिवार के लिए क्या कर सकती है, मैंने इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा।” उन्होंने बताया कि उनके पिता कांग्रेसी थे, जबकि उनकी माता संघी थीं, जो दिल्ली में संघ के शाखाओं और विश्व हिन्दू परिषद का दफ्तर जाया करती थीं।