दुर्लभ जड़ी बूटियों से दी जाती है यहां हवन में आहुति, होता है ये फायदा

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद स्थित रामगढ़ कसारी भिखारी बाबा आश्रम में आयोजित होने वाले रुद्र महायज्ञ का विशेष महत्व है. यहां हवन में आहुति देने के लिए दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित सामग्री का उपयोग किया जाता है. यह आयोजन भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच आस्था और विश्वास का केंद्र बन चुका है.

आयोजक भिक्षुक भिखारी जंगली दास दीनबंधु रमाशंकर गिरी जी महाराज ने बताया कि इस महायज्ञ में तुलसी को जड़ी-बूटियों की रानी और अश्वगंधा को महाराजा माना जाता है. इनके साथ अन्य औषधीय पौधों का मिश्रण तैयार कर हवन कुंड में आहुति दी जाती है. यज्ञ का मुख्य उद्देश्य वातावरण को शुद्ध करना और रोगों से मुक्ति प्रदान करना है.

रोग निवारण और वातावरण शुद्धि का दावा
महाराज जी के अनुसार, इस यज्ञ में सम्मिलित होने वाले भक्तों को मानसिक और शारीरिक रोगों से राहत मिलती है. हवन के दौरान मंत्रोच्चार और औषधीय धुएं के प्रभाव से वातावरण में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया समाप्त हो जाते हैं. भक्तों का मानना है कि यज्ञ में सम्मिलित होने से रोग निवारण तत्काल शुरू हो जाता है.

दूर-दूर से उमड़ते हैं श्रद्धालु
इस नौ दिवसीय महायज्ञ में देश के विभिन्न प्रांतों और जनपदों से श्रद्धालु भाग लेते हैं. हवन स्थल पर भक्तों के लिए भंडारे का भी आयोजन किया जाता है. कार्यक्रम के अंतिम दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो इस आयोजन की भव्यता को और भी बढ़ा देती है.

आयोजन का महत्व और परंपरा
यह विराट रुद्र महायज्ञ कई वर्षों से अनवरत चल रहा है. महाराज जी का कहना है कि इस आयोजन का उद्देश्य न केवल रोगों से मुक्ति दिलाना है, बल्कि विश्व के कल्याण और वातावरण को शुद्ध रखना भी है.

महायज्ञ का विशेष आकर्षण
दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियों से हवन सामग्री का निर्माण.
रोग निवारण और मानसिक शांति के लिए विशेष मंत्रोच्चार.
विशाल भंडारा और भक्तों की सेवा.
9 दिवसीय आयोजन में देशभर से श्रद्धालुओं की सहभागिता.
सोनभद्र के इस धार्मिक और औषधीय महत्व वाले आयोजन को देखने और अनुभव करने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. उनका विश्वास इस आयोजन को और भी खास बना देता है.

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