मुंबई । 49 साल बाद फिल्म ‘शोले’ के किस्से कहानी लोग आज भी सुनना पसंद करते हैं। ‘शोले’ का डायरेक्शन रमेश सिप्पी ने किया। सलीम-जावेद की जोड़ी द्वारा लिखी इस फिल्म ने मसाला सिनेमा के सार को प्रदर्शित करते हुए भारत में मनोरंजन को फिर से परिभाषित किया।
फिल्म में डायलॉग ‘जय’-‘वीरू’ के हो या ‘बसंती’ के, ‘गब्बर’ के हो या ‘ठाकुर’ के आज भी उन डायलॉग्स को खूब पसंद किया जाता है। ‘शोले’ फिल्म से जुड़ा राज एक्टर और डायरेक्टर सचिन पिलगांवकर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खोला। उन्होंने बताया कि रमेश सिप्पी सिर्फ तीन स्टार्स को शूट करने के लिए सेट पर पहुंचते थे। क्या है शोले से जुड़ा ये किस्सा, चलिए आपको बताते हैं। सचिन पिलगांवकर कई फिल्मों में पर्दे के आगे और पीछे दोनों जगह नजर आ चुके हैं। कुनाल विजयकर के साथ बात करते हुए उन्होंने 49 साल पुराने किस्सों को शेयर किया। उन्होंने बताया कि ‘शोले’ के लिए रमेश सिप्पी ने कुछ एक्शन सीक्वेंस करने के लिए दूसरी यूनिट रखने का फैसला किया, जिसमें मेन स्टार्स नहीं थे। ये सिर्फ पासिंग शॉट थे। इसके लिए, उन्होंने स्टंट फिल्मों के निर्देशक मोहम्मद अली भाई को रखा था। वह एक फेमस स्टंट फिल्म निर्माता थे और उनके साथ एक एक्शन निर्देशक अजीम भाई थे।
इसके बाद में हॉलीवुड से दो लोगों को बुलाया गया, जिम और जेरी। वह (रमेश) चाहते थे कि उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए दो व्यक्ति हों क्योंकि ये लोग दूसरे देशों से आए थे। उन्हें फिल्म के बारे में कैसे पता चलेगा कि क्या हो रहा है। उस समय, यूनिट में केवल दो बेकार लोग थे। एक अमजद खान और दूसरा मैं था। इसलिए इसके लिए हमें चुना गया। उन्होंने आगे बताया कि मेरे और अमजद खान के डायरेक्शन में रुचि के बारे मे रमेश सिप्पी जानते थे। इसलिए उन्होंने हमें जिम और जेरी का प्रतिनिधित्व करने के लिए लगा दिया। सचिन पिलगांवकर ने बताया कि डायरेक्टर रमेश सिप्पी केवल धर्मेंद्र, संजीव कुमार और अमिताभ बच्चन के सीन को शूट करने आते थे और हम बाकी के शूट को हैंडल करते थे। सचिन पिलगांवकर ने ‘शोले’ में ट्रेन वाले एक शूट की बीटीएस स्टोरी शेयर की।
उन्होंने फिल्म का आइकॉनिक रॉबरी सीन के शूट का किस्सा शेयर किया। उन्होंने बताया कि जिम और जेरी इस सीन को सामने से लेना चाहते थे और मुझे लगता था अगर साइड से शूट करेंगे तो ज्यादा अच्छा आएगा। हम दोनों का बातों को सुनने के बाद अमजद खान ने कहा कि हमारे पास दो कैमरे हैं, तो क्यों न दोनों तरह से शूट कर लिया जाए। बता दें कि ‘शोले’ हिंदी सिनेमा की उन फिल्मों में से एक है, जिसने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी है। साल 1975 में फिल्म रिलीज हुई थी।