मुंबई। लोकसभा चुनाव में वर्ली में शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) उम्मीदवार की बढ़त सात हजार से भी कम रहने से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) आगामी विधानसभा चुनाव में इस सीट से संदीप देशपांडे को मैदान में उतार सकती है। वर्तमान में शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे इस सीट से विधायक हैं। दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा वर्ली ऊंची इमारतों और व्यापारिक संस्थानों का केंद्र है, लेकिन इस क्षेत्र में पुलिस कॉलोनी और बीडीडी चॉल जैसी कई झुग्गी-बस्तियां भी हैं, जो पुनर्विकास के इंतजार में हैं। कई झुग्गी-बस्ती में पुनर्वास परियोजनाएं बंद पड़ी हुई हैं।
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात कर वर्ली से जुड़ी समस्याओं पर बातचीत की थी। इसके बाद सीएम शिंदे ने अधिकारियों को वर्ली से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया। मनसे नेता देशपांडे वर्ली निवासियों की समस्याओं को दूर करने के लिए उनके साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। मनसे ने 2019 के विधानसभा चुनावों में वर्ली से अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था, क्योंकि शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख एवं पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे अपना पहला चुनाव लड़ रहे थे।
चुनावी राजनीति में प्रवेश करने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य आदित्य ठाकरे ने यहां से जीत हासिल की थी। बावजूद इसके, 2024 के लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में शिवसेना (यूबीटी) की बढ़त में गिरावट आई है। मनसे को इस क्षेत्र में अब एक संभावित अवसर दिख रहा है। अभी यह साफ नहीं है कि सत्तारूढ़ गठबंधन या मनसे एक साथ चुनाव लड़ेंगे या नहीं। सीएम शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और सत्तारूढ़ बीजेपी अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए वर्ली में कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।
शिवसेना (यूबीटी) के विधान पार्षद सुनील शिंदे ने लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के उम्मीदवार की बढ़त में अप्रत्याशित गिरावट को स्वीकारा है और इसके लिए अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार माना है, लेकिन उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में आदित्य ठाकरे की वापसी का विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि बढ़त में गिरावट का मतलब यह नहीं है कि लोग हमसे नाराज हैं। लोकसभा चुनावों में ‘मोदी फैक्टर था। हमें ऊंची इमारतों से अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीट के लिए इस साल अक्टूबर में चुनाव होने हैं।