नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं और धारा 370 पर सियासत जारी है। कांग्रेस को अपना स्टैंड साफ करने की चुनौती मिल रही है। इस बीच, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जम्मू कश्मीर में चुनावी प्रचार की शुरुआत की। उन्होंने रामबन और अनंतनाग जिले में दो मेगा रैलियां की।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जम्मू कश्मीर के लोगों से खुद को जोड़ने की कोशिश की और वहां की समस्याएं गिनाईं। उन्होंने कांग्रेस की सरकार बनने पर स्टेटहुड लौटाने की बात भी कही, लेकिन एक बार फिर धारा 370 के मसले पर कोई बयान नहीं दिया। एक हफ्ते पहले भी जब राहुल गांधी जम्मू कश्मीर पार्टी नेताओं का फीडबैक लेने पहुंचे थे, तब भी वे धारा 370 के मुद्दे पर चुप ही रहे जबकि कांग्रेस की सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणा पत्र में साफ कर दिया है कि अगर हमारी सरकार बनती है तो धारा 370 और 35ए की बहाली की जाएगी।
कांग्रेस की चुप्पी पर बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस को चुनाव में जाने से पहले धारा 370 पर अपना रुख साफ करना चाहिए। इतना ही नहीं, बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन को भी आरक्षण और राष्ट्रवाद के खिलाफ बताया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर को लेकर कांग्रेस से दस सवाल भी पूछे हैं। शाह ने पूछा कि क्या राहुल गांधी और कांग्रेस धारा 370 और आर्टिकल 35ए को वापस लाकर जम्मू-कश्मीर को अशांति और आतंकवाद में धकेलने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के फैसले का समर्थन करती है? क्या कांग्रेस ‘नेशनल कांफ्रेंस’ के जम्मू-कश्मीर में फिर से ‘अलग झंडे’ का समर्थन करती है? क्या राहुल गांधी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणा-पत्र में उल्लेखित दलितों, गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ियों के आरक्षण को समाप्त करने वाले आरक्षण विरोधी प्रस्ताव का समर्थन करते हैं? नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन करने के बाद कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को देश के सामने अपनी आरक्षण नीति साफ करनी चाहिए। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी धारा 370 पर सीधे तौर पर बोलने से बच रहे हैं क्योंकि यह मुद्दा जम्मू-कश्मीर की राजनीति और राष्ट्रीय स्तर पर एक अत्यधिक संवेदनशील और विवादास्पद विषय है। धारा 370 को हटाने का फैसला मोदी सरकार ने 2019 में लिया गया था और यह बीजेपी का प्रमुख एजेंडा रहा है, इसे लेकर कांग्रेस में भी मतभेद देखने को मिलते रहे हैं।
कांग्रेस धारा 370 की बहाली के सवाल पर असमंजस में रही है, लेकिन वह जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव कराने और राज्य का दर्जा बहाल करने पर जोर देती रही है। दिसंबर 2023 में जब धारा 370 पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगी तो कांग्रेस ने कहा था कि धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को हटाने पर अब बहस समाप्त हो गई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब कानून है। हालांकि, कांग्रेस ने राज्य का दर्जा तत्काल बहाल करने की मांग उठाई थी। इससे पहले 2019 में जब धारा 370 को हटाया तो कांग्रेस का रुख अलग था और पार्टी ने इस फैसले का कड़ा विरोध जताया था।