निर्माणाधीन शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय एवं ट्रायबल म्यूज्यिम का प्रमुख सचिव ने किया निरीक्षण

रायपुर। प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने आज नवा रायपुर में निर्माणाधीन शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय एवं जनजातीय जीवनशैली से संबंधित ट्रायबल म्यूज्यिम का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने मौके पर उपस्थित अधिकारियों, इंजीनियर्स, क्यूरेटर एवं निर्माण एजेंसी के अधिकारियों से अब तक के कार्य की प्रगति के संबंध में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि अभी तक हुए निर्माण कार्य की प्रगति संतोषजनक है शेष लंबित कार्यों को निर्धारित समयसीमा में पूरा करने का निर्देश दिए। उन्होंने निर्माण एजेंसी के अधिकारियों से कार्य अक्टूबर तक कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। इस हेतु मैन पावर तथा अतिरिक्त टैक्निकल टीम बढ़ाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने संग्रहालय में निर्माणाधीन गिफ्ट शॉप एवं ऑडियो-विजुअल के संबंध में भी आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संग्रहालय एवं ट्रायबल म्यूज्यिम के उद्घाटन के पश्चात उसका उचित रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है। इस हेतु अभी से आवश्यक व्यवस्था की जानी चाहिए। निरीक्षण के दौरान उनके साथ टीआरटीआई के संचालक पी.एस.एल्मा सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय स्वतंत्रता काल में वीर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के शौर्य एवं सर्वाेच्च बलिदान को समर्पित है। इसमें कुल 15 गैलरियां हैं। प्रथम गैलरी में छ.ग. की जनजातीय जीवन शैली का खूबसूरत वर्णन किया गया है, जबकि शेष गैलरियों में स्वतंत्रता आंदोलन के समय छ.ग. में हुए विभिन्न आदिवासी विद्रोहों जैसे- हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम विद्रोह, परलकोट विद्रोह, तारापुर विद्रोह, लिंगागिरी विद्रोह, कोई विद्रोह, मेरिया विद्रोह, मुरिया विद्रोह, रानी चौरिस विद्रोह, भूमकाल विद्रोह, सोनाखान विद्रोह, झण्डा सत्याग्रह एवं जंगल सत्याग्रह के वीर आदिवासी नायकों के संघर्ष (1923, 1920) के दृश्य का जीवंत प्रदर्शन किया जा रहा है। निश्चित ही यह संग्रहालय सभी वर्ग के लोगों के लिए एक आकर्षण केन्द्र के रूप में बनकर उभरेगा। शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय के पास ही ट्रायबल म्यूज्यिम का निर्माणकार्य भी अंतिम चरण में है। यह ट्रायबल म्यूज्यिम जनजातीय जीवनशैली, उनके रहन-सहन, निवास गृह, पूजा पद्धति (देवगुड़ी), उनकी वेशभूषा, उनकी सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विशेषताओं को जीवंत प्रदर्शित करेगा। इसमें ज्यादातर वूडन कार्य होने के कारण प्रमुख सचिव श्री बोरा द्वारा इसमें दीमकरोधी एवं पानी से बचाव करने हेत कुछ आवश्यक सुधार करने के निर्देश दिए। उन्होंने शेष कार्य को अक्टूबर तक पूर्ण करने के निर्देश दिए गए। प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने कहा कि इन दोनों संग्रहालय के मूर्तरूप में आने के बाद निश्चित ही छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान प्राप्त होगी।

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