प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को भारत के 76वें गणतंत्र दिवस पर आयोजित समारोह के दौरान कर्तव्य पथ पर कचरा उठाकर स्वच्छ भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए एक सशक्त उदाहरण पेश किया।
इंटरनेट मीडिया पर भी यह वीडियो खूब प्रसारित हो रहा है और लोग जमकर सराहना कर रहे हैं। मोदी के इस कदम ने सार्वजनिक स्थलों की सफाई और सामुदायिक भागीदारी के महत्व को भी उजागर किया।
बड़ा संदेश दे गया ये कदम
हुआ यूं कि कर्तव्य पथ पर मोदी प्रोटोकॉल के अनुसार उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत करने के लिए तैयार थे। जब उन्होंने धनखड़ के वाहनों को समारोह स्थल की ओर आते हुए देखा तो वे प्रवेश द्वार की ओर बढ़े, तभी उन्होंने जमीन पर कूड़ा पड़ा देखा। वे तुरंत वहां रुके और झुककर कूड़ा उठाया। इसके बाद उन्होंने उस कचरे के टुकड़े-टुकड़े करके उसे अपने एक सुरक्षाकर्मी को दे दिया।
देखने में भले ही यह एक छोटा सा कदम था, लेकिन इसके पीछे संदेश बड़ा था। मोदी के इस कदम ने इंटरनेट पर लोगों का दिल जीत लिया। वैसे भी मोदी समय-समय पर 'स्वच्छ भारत' सुनिश्चित करने के लिए सफाई कार्यों में शामिल होने पर जोर देते रहे हैं।
पीएम मोदी ने देखा- स्वच्छ भारत का सपना
मोदी का यह कदम इसलिए भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि मोदी ने पहले भी प्लागिंग (कचरा निस्तारण) और सामुदायिक नेतृत्व वाली पहलों पर जोर दिया है ताकि एक स्वच्छ भारत का सपना साकार हो सके। पिछले वर्ष नवंबर में उन्होंने 'मन की बात' में कानपुर में गंगा घाटों की सफाई करने वाले एक प्लागिंग समूह की सराहना की थी।
पिछले वर्ष दिसंबर में रक्षा मंत्रालय ने स्वच्छता पखवाड़ा के तहत देशभर में 400 से अधिक स्थानों पर एक विशाल प्ला¨गग कार्यक्रम का आयोजन किया था।
पीएम ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर बलिदानी सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने रक्षा प्रमुख और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर मोदी का स्वागत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया।
प्रधानमंत्री ने कर्तव्य पथ पर सलामी मंच के लिए प्रस्थान करने से पहले आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर भी किए। इस प्रतिष्ठित स्मारक का उद्घाटन 2019 में मोदी द्वारा ही किया गया था। यह स्मारक 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1947, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों, श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के दौरान और 1999 के कारगिल संघर्ष के दौरान बलिदान हुए सैनिकों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में शहादत पाए सैनिकों को समर्पित है।