रायपुर। यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण को नामांकित करने की तैयारी है। इसके साथ ही गुरुग्रंथ साहिब, अशोक के शिलालेख, कौटिल्य का अर्थशास्त्र तथा तमिल कवि तिरुवल्लुवर रचित थिरूकुरल को भी यूनेस्को के नेशनल और रीजनल रजिस्टर में शामिल करने के लिए नामांकित किया जाएगा।अगले वर्ष मार्च में होने वाली इंटरनेशनल एडवाइजरी की बैठक में प्रस्ताव रखा जा सकता है। एक कार्यक्रम में शामिल होने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में यूनेस्को मेमोरी आफ द वर्ल्ड नोडल केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर डा. रमेश चंद्र गौड़ ने उक्त जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल एडवाइजरी की बैठक में पिछले वर्ष सितंबर में नामांकित किए गए मद्भागवत गीता एवं भरतमुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल करने का निर्णय लिया जा सकता है। इसके लिए विश्वभर के 14 विशेषज्ञ विमर्श करेंगे।उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक वर्ष में केवल पांच नामांकन किया जा सकता है, लेकिन राष्ट्रीय रजिस्टर में कई नामांकन किए जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले माह मंगोलिया की राजधानी उलान-बातार में यूनेस्को की मेमोरी आफ द वर्ल्ड रीजनल रजिस्टर (एशिया-प्रशांत) की बैठक में भारत की तीन पांडुलिपियों को एशिया-प्रशांत की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।इनमें तुलसीदास रचित रामचरितमानस की सचित्र पांडुलिपि, विष्णु शर्मा रचित पंचतंत्र दंतकथाओं की 15वीं शताब्दी की पांडुलिपि और आचार्य आनंद वर्धन रचित सहृदयालोक-लोकन की पांडुलिपि शामिल है।