भोपाल । प्रदेश में भले ही बिजली उत्पादन मांग से अधिक होने का दावा किया जाए, लेकिन हकीकत इससे अलग ही है। यही वजह है कि हर साल गर्मियों में लोगों को अघोषित बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह है बार-बार बिजली उत्पादन इकाईयों का खराब होना। प्रदेश में अब भी बिजली उत्पादन के लिए थर्मल पावर प्लांटों पर ही निर्भरता बनी हुई है। ऐसे में अगर एक युनिट भी एक दिन के लिए बंद होती है, तो करीब ढाई करोड़ रुपए का फटका लग जाता है। बीते रोज भी संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की 210 यूनिट की इकाई लीकेज हो जाने के कारण बंद हो गई। इकाई को ठीक किए जाने का काम दूसरे दिन भी चल रहा है। गौरतलब है कि 210 मेगावॉट की एक उत्पादन इकाई एक दिन में लगभग 50 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन करती है। प्रति यूनिट 5 रुपए के हिसाब से इसकी कीमत करीब ढाई करोड़ रुपए होती है। ऐसे में दो दिन में अगर एक यूनिट ठप होती है, तो उससे पॉवर जनरेशन कंपनी को पांच करोड़ रुपए का फटका लगना तय है। प्रदेश में कई बिजली उत्पादन यूनिटें बार-बार बंद हो रही हैं। यूनिटों के पार्ट खराब होने, तकनीकी खामी सहित अन्य कारणों से यह बंद हो जाती है। इससे लाखों के यूनिट बिजली उत्पादन प्रभावित होता और करोड़ों का नुकसान होता है। उत्पादन प्रभावित होने से बिजली की किल्लत भी बढ़ सकती है। प्रदेश में अभी बिजली की डिमांड 10 से 12 हजार मेगावॉट के बीच चल रही है। दो महीने बाद बिजली की डिमांड में 5 से 6 हजार मेगावॉट तक का बढ़ जाएगी। तब बिजली की किल्लत भी प्रदेश में हो जाती है। इसको देखते हुए बिजली उत्पादन का प्रभावित होना पॉवर जनरेशन कंपनी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।
पूर्व में भी बंद हो चुकी हैं यूनिटें
संजय गांधी ताप विद्युत गृह की बिजली उत्पादन यूनिटें पहले भी बंद हो चुकी हैं। इससे पहले अप्रैल में बिजली उत्पान इकाई दो बार बंद हुईं थीं। यह यूनिट बॉयलर ट्यूब में खराबी के कारण बंद हुई थी। इसके बाद एक बार और यूनिट बंद हो चुकी है। इस तरह से बिजली उत्पादन यूनिटों से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। दरअसल प्रदेश की बिजली सप्लाई व्यवस्था अभी ताप विद्युत गृहों पर निर्भर है।