पोप फ्रांसिस ने सरोगेसी पर दुनिया भर में पाबंदी लगाने की मांग की है।
उन्होंने सोमवार को यह अपील की कि सरोगेसी से मातृत्व की घृणित प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जाए। उन्होंने अपने वार्षिक संबोधन में वैश्विक शांति और मानवीय गरिमा के लिए खतरों की सूची में गर्भावस्था के व्यवसायीकरण को भी शामिल किया।
पवित्र वेटिकन से मान्यता प्राप्त राजदूतों को विदेश नीति संबोधन में पोप ने ये बातें कहीं। फ्रांसिस ने अफसोस जताया कि 2024 इतिहास में ऐसे समय में शुरू हुआ जिसमें शांति का तेजी से ह्रास हो रहा है। यह कमजोर हो रही है और कुछ हद तक खो गई है।
यूक्रेन-रूस युद्ध, इजराइल-हमास युद्ध, प्रवासन, जलवायु संकट और परमाणु व पारंपरिक हथियारों के अनैतिक उत्पादन का पोप ने हवाला दिया। फ्रांसिस ने मानवता को प्रभावित करने वाली खामियों पर बात की।
साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन कर उन्हें इजाजत देने की एक लंबी सूची पेश की। उन्होंने छोटे पैमाने के मुद्दों का भी उल्लेख किया और कहा कि सरोगेसी सहित ये मुद्दे शांति और मानवीय गरिमा के लिए खतरा हैं।
उन्होंने कहा कि अजन्मे बच्चे के जीवन की रक्षा की जानी चाहिए और उसे दबाया या तस्करी की वस्तु नहीं बनाया जाना चाहिए।
सरोगेसी से मातृत्व की प्रथा घृणित: पोप फ्रांसिस
पोप ने कहा, ‘मैं तथाकथित सरोगेसी से मातृत्व की प्रथा को घृणित मानता हूं। यह मां की भौतिक आवश्यकताओं के शोषण के आधार पर महिला और बच्चे की गरिमा का गंभीर उल्लंघन दर्शाती है।’
कुछ दिनों पहले पोप फ्रांसिस ने गाजा में युद्ध को समाप्त करने की अपील की थी। उन्होंने हमास की ओर से बंधक बनाए गए इजरायली बंधकों को मुक्त करने की भी मांग की।
उन्होंने गाजा को और अधिक सहायता देने का भी आह्वान किया। पोप ने इजरायलियों और फिलस्तिीनियों के खिलाफ हिंसा पर शोक व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि वह 7 अक्टूबर को फिलीस्तीन-इजरायल के बीच शुरू हुए संघर्ष में व्यापक रूप से जनहानि से बेहद आहत हैं और वे अभी भी बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई के लिए अपनी तत्काल अपील दोहराते हैं।
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