भोपाल । प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मकान बनाने के लिए मिलने वाली राशि प्राप्त होने के बाद भी लोग पीएम आवास नहीं बना रहे हैं। कई तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने अभी तक नींव तक नहीं खोदी है। जानकारी के अनुसार लोग उक्त राशि को कहीं और उड़ा रहे हैं। इस तरह के मामले सामने आने के बाद मंत्रालय स्तर पर योजना के पैसे का गलत इस्तेमाल करने वाले हितग्राहियों से वसूली को लेकर विमर्श शुरू हो गया है। सूत्र बताते हैं कि हितग्राहियों को नोटिस देकर काम शुरू कराने को कहा जाएगा, अगर काम शुरू नहीं किया तो वसूली का अल्टीमेटम दिया जाएगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों-बेघरों के खुद के आशियाने के सपने को पूरा करने के लिए जिस प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना को शुरू किया था। उसे मप्र में जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और योजना का लाभ लेने वाले हितग्राही किस तरह से पलीता लग रहा है, वो चौंकाने वाला है। जबकि योजना के तहत हितग्राही चयन में तीन चरणों में सत्यापन की व्यवस्था है। बावजूद इसके बाद भी इस तरह की गड़बडिय़ां नहीं रूक पाई है। जिसमें सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा, और भू-टैगिंग महत्वपूर्ण है।
33 हजार ने पैसा कहीं और खर्च किया
गौरतलब है कि पीएम आवास योजना के तहत सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के बेघर गरीबों को घर बनाने के लिए 1.20 लाख रुपए देती है। राज्य में स्वीकृत 37.98 लाख आवासों में 1.63 लाख बेघर लोगों ने पीएम आवास बनाने के लिए पैसा तो ले लिया, लेकिन आवास नहीं बनाया। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 21 प्रतिशत यानी 33580 लोगों ने पीएम आवास के लिए मिले पैसे को दूसरे खर्चों में उड़ा दिया। इसके बाद फिर इनकी गिनती सरकार द्वारा ग्रामीण बेघर व्यक्तियों में इसलिये कर ली गई क्योंकि यह अभी भी कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं। बावजूद इसके नियमों और घर की जरूरत को दरकिनार करते हुए राशि का बेजा इस्तेमाल करने से बाज नहीं आए हैं। इधर इस तरह के मामले सामने आने के बाद मंत्रालय स्तर पर योजना के पैसे का गलत इस्तेमाल करने वाले हितग्राहियों से वसूली को लेकर विमर्श शुरू हो गया है। भूखंड संबंधी पारिवारिक और न्यायालीन वाद के चलते भी आवास पूरे नहीं हो पा रहे हैं। इनमें भूखंड संबंधी पारिवारिक विवाद के कारण जहां 3099 आवास अपूर्ण है। वहीं दूसरी ओर 756 न्यायालयीन वाद के कारण अटके हैं। जबकि अन्य कारणों से अधूरे आवासों की संख्या 11 हजार 561 से अधिक है।
किसी ने शादी तो किसी ने बीमारी में खर्च कर दी राशि
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत राज्य में 37.98 लाख आवासों को स्वीकृत प्रदान की गई है। 2016 से संचालित इस योजना का उद्देश्य 2024 तक उन बेघरों को आवास मुहैया कराना है, जो ग्रामीण परिवार बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से संबंधित लोग, मुक्त बंधुआ मजदूर और बीपीएल परिवार, विधवा महिलाएं, रक्षाकर्मियों के परिजन, पूर्व सैनिक तथा अर्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति तथा अल्पसंख्यक शामिल है। जानकारी के अनुसार, आवास के लिए मिली राशि से कोई ने बीमारी, तो कोई बेटी की शादी करने की बात कह रहा। कई ऐसे हैं, जिन्होंने बेरोजगारी के कारण योजना की राशि जीवनयापन में खर्च कर दी। प्रदेश में 13 हजार 285 हितग्राही ऐसे मिले हैं जो आवास की राशि लेकर पलायन कर गये। इसके चलते 13 हजार 285 आवास अभी भी अधूरे हैं। इनकी गिनती स्थाई पलायन की सूची में की गई है। इसमें मजेदार बात यह कि पहले से बड़े आकार का मकान होने का हवाला देकर 11 हजार 460 लोगों ने आवास नहीं बनवाया है।