25000 से अधिक छात्र छात्राएं परेशान
निजी विश्वविद्यालयों की पोबारह
भोपाल । मध्य प्रदेश के सरकारी और निजी पैरामेडिकल कॉलेजों मे पैरामेडिकल कोर्स की परीक्षाएं पिछले 3 वर्ष से नहीं हो पा रही हैं। जिसके कारण 25000 से अधिक छात्र छात्राएं प्रभावित है। नर्सिंग छात्रों की तरह पैरामेडिकल कोर्स के छात्र भी पिछले तीन वर्षों से परेशान हैं। इनके तीन वर्ष बर्बाद हो गए हैं। छात्रों ने मुख्यमंत्री के पास भी गुहार लगाई है। फिजियोथैरेपी, ईसीजी, टेक्निशियन, ओटी टेक्नीशियन, एनेस्थीसिया असिस्टेंट और अन्य पैरामेडिकल कोर्स की परीक्षाएं नहीं होने से छात्रों में भारी रोष है। पैरा मेडिकल कॉलेज में हुई धांधली के मामले में हाईकोर्ट ने इन परीक्षाओं पर भी रोक लगा दी है।
नर्सिंग कॉलेज के बाद अब पैरामेडिकल कॉलेज की भी सीबीआई से जांच कराने की मांग की जा रही है। जिस तरह की धांधली नर्सिंग कॉलेज में हुई थी। उसी तरह की धांधली पैरामेडिकल कॉलेजों में भी हुई है।
छात्रों का कहना है, 3 साल से मेडिकल विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा आयोजित नहीं करने के कारण कुछ छात्र ओवर ऐज हो रहे हैं। परीक्षाएं नहीं होने से 3 साल छात्रपढ़ाई और करियर में पीछे हो गए हैं। आगे चलकर सरकारी नौकरी लगने में भी कठनाई होगी। मध्य प्रदेश में 220 पैरामेडिकल कॉलेज हैं। इसमें 25000 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। विश्वविद्यालय में हो रही अनिमियताओं के कारण, छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की परीक्षा समय पर
कई मेडिकल कॉलेज और अन्य कॉलेजों की अपनी खुद की यूनिवर्सिटी है। वहां पर वार्षिक परीक्षाएं समय पर हो रही हैं। निजी विश्वविद्यालय के कॉलेज में पढ़ने वाले सभी छात्रों की परीक्षा निर्धारित समय पर हो जाती है। सरकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी मे सरकारी ओर निजी कॉलेज यूनिवर्सिटी के साथ अटैच हैं। उन छात्रों का कैरियर पूरी तरीके से बर्बाद हो रहा है। इसको लेकर छात्रों में भयंकर रोष पनप रहा है। सरकार की गड़बड़ियों का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।