दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया और बांग्लादेश तथा भारत से जुड़े एक अंग प्रत्यारोपण रैकेट का भंडाफोड़ किया। डीसीपी क्राइम ब्रांच अमित गोयल के अनुसार, "अंतरराष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण रैकेट के सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है।" उन्होंने कहा, "इस रैकेट का मास्टरमाइंड एक बांग्लादेशी था। डोनर और प्राप्तकर्ता दोनों ही बांग्लादेश से थे। हमने रसेल नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो मरीजों और डोनर की व्यवस्था करता था। ट्रांसप्लांट में शामिल महिला डॉक्टर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। आगे की जांच जारी है।" इंद्रप्रस्थ अस्पताल ने एक बयान में कहा, "दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक डॉक्टर को हिरासत में लिया है, जिसे फीस के आधार पर रखा गया था और वह अस्पताल के पेरोल पर नहीं था। यह कार्रवाई दूसरे अस्पताल में की गई प्रक्रियाओं की जांच के बाद की गई, और प्रथम दृष्टया यह इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में की गई किसी भी कार्रवाई से संबंधित नहीं है। पुलिस की इस कार्रवाई को देखते हुए, आईएएच ने डॉक्टर को निलंबित कर दिया है।" बयान में आगे कहा गया, "जांच के सिलसिले में कुछ जानकारी मांगने के लिए अपराध शाखा ने पहले भी आईएएच से संपर्क किया था, जो विधिवत प्रदान की गई थी।" इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने बयान में कहा, "आईएएच इस मामले में जांच अधिकारियों को अपना पूरा सहयोग प्रदान करेगा।" हालांकि, महिला डॉक्टर नोएडा में एक अन्य निजी अस्पताल में भी फीस-फॉर-सर्विस के आधार पर काम कर रही थी। अस्पताल ने उसके साथ किसी भी तरह के सीधे संबंध से इनकार किया है।
हमने सभी जांचों में पूरा सहयोग किया- यथार्थ अस्पताल
यथार्थ अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा, "यथार्थ अस्पताल का उक्त डॉक्टर के साथ कोई सीधा संबंध नहीं है, क्योंकि वह दूसरे अस्पताल का हिस्सा है। हमारी सभी प्रक्रियाओं के लिए, हम उच्चतम नैतिक मानकों को सुनिश्चित करते हैं, रोगी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं, और सभी नैदानिक और सरकारी प्रोटोकॉल का पालन करते हैं।" उन्होंने कहा, "हमने सभी जांचों में पूरा सहयोग किया है, तथा हमारे अस्पताल या हमारी कार्यप्रणाली के विरुद्ध कोई गलत कार्य करने का कोई मामला सामने नहीं आया है।"