आयुष्मान योजना में उपचार के पैकेज की संख्या की जाएगी 1700
भोपाल। आयुष्मान भारत योजना में रोगियों को आर्गन ट्रांसप्लांट और बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा भी मिल सकेगी। इसके अतिरिक्त महंगी जांचें और दवाएं भी इस पैकेज में जोड़ी जा रही हैं जो अभी तक शामिल नहीं थीं। इसमें इम्युनोग्लोबलिन के इंजेक्शन भी हैं। मध्य प्रदेश सरकार 15 जून से हेल्थ बेनिफिट पैकेज (एचबीपी)- 2022 शुरू करने जा रही है, जिसमें 600 नई बीमारियां शामिल की जा रही हैं। अभी उपचार के 1100 तरह के पैकेज हैं, जिनकी संख्या 1700 हो जाएगी। दूसरी सुविधा यह शुरू की जा रही है कि सर्जरी और मेडिसिन के मरीजों को आवश्यकता होने पर दोनों का लाभ मिल सकेगा। अभी सर्जरी और मेडिसिन के अलग-अलग पैकेज होने के कारण दिक्कत आ रही थी। पेट स्कैन सहित कई बड़ी जांचों की सुविधा भी अब मिल सकेगी। पहले नए पैकेज एक अप्रैल से शुरू करने की तैयारी थी, जिसे चुनाव के चलते आगे बढ़ा दिया गया था।
नए पैकजों में थैलेसीमिया भी
नए पैकजों में थैलेसीमिया का चिकित्सकीय प्रबंधन भी किया जाएगा। इसमें उपचार के बाद रोगियों के शरीर में आयरन की मात्रा बढऩे सहित कई समस्याएं आती हैं जिनका उपचार होगा। पहली बार आयुष्मान भारत योजना में इंटरवेंशनल रेडियोलाजी के माध्यम से विभिन्न बीमारियों के उपचार को भी शामिल किया जा रहा है। यह सुविधाएं अभी एम्स या कुछ मेडिकल कालेजों में ही उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त कुछ मरीजों को विभिन्न बीमारियों में इम्यूनोग्लोबलिन (प्रोटीन) और अन्य महंगी दवाओं की आवश्यकता होती है। इनका भी आयुष्मान से उपचार हो सकेगा।
निजी अस्पतालों में किस बीमारी पर कितना खर्च
आयुष्मान योजना से उपचार के लिए जिन नई बीमारियों को पैकेज में शामिल किया जा रहा है उन पर निजी अस्पतालों में दो लाख से 15 लाख रुपये तक खर्च है। लिवर ट्रांसप्लाट पर रोगी की बीमारी के अनुसार 15 लाख रुपये से लेकर 20 लाख रुपये तक खर्च आता है। इसी तरह से कुछ बच्चों के काक्लिया (कान का आंतरिक भाग) में जन्म से ही खराबी रहती है, जिससे वह सुन नहीं पाते। कांक्लियर इंप्लांट लगाकर इसे ठीक किया जा सकता है। निजी अस्पतालों में दो से तीन लाख रुपये तक इस पर खर्च होते हैं। बोनमैरो ट्रांसप्लांट में आठ लाख से 10 लाख रुपये तक का खर्च आता है। सभी तरह के ब्लड कैंसर, रक्त की जन्मजात बीमारी थैलीसीमिया और एप्लास्टिक एनीमिया से पीडि़त रोगियों को बोनमैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ती है। अब प्लाज्माफेरेसिस की सुविधा मिलेगी। इसमें रक्त संबंधी बीमारियों में रक्त को डायलिसिस की तरह साफ किया जाता है। इस पर भी निजी अस्पतालों में सवा लाख से डेढ़ लाख रुपये तक खर्च होते हैं।