नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आज से आज, 10 साल पहले एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना लागू की थी, जो भारतीय सशस्त्र बलों के भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित हुई। इस योजना के तहत समान रैंक और समान सेवा अवधि वाले सैनिकों को उनके रिटायरमेंट तिथि की परवाह किए बिना समान पेंशन मिलती है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस दिन को याद करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट में लिखा-जिसमें उन्होंने ओआरओपी को भारतीय सैन्य बलों के प्रति सरकार की कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक बताया।
पीएम मोदी ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन लागू करना हमारे दिग्गजों और भूतपूर्व सैनिकों के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि देना एक अहम कदम था। यह फैसला हमारी सेना के जवानों के लिए हमारी कृतज्ञता दिखाने और लंबित मांगों को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम था। पिछले एक दशक में लाखों पेंशनधारकों को इससे लाभ हुआ, जो हमारी सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
उन्होंने आगे कहा कि ओआरओपी के जरिए सशस्त्र बलों के भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन को बेहतर बनाया गया है और इस कदम से उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सशस्त्र बलों के कल्याण के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहेगी और हर संभव प्रयास करती करेगी।
वहीं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस दिन को महत्वपूर्ण दिन बताते हुए ओआरओपी के लागू होने पर पीएम मोदी का आभार माना। उन्होंने कहा कि ओआरओपी पीएम मोदी की सशस्त्र सेनाओं के प्रति नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसके लागू होने से 25 लाख से ज्यादा भूतपूर्व सैनिकों को लाभ हुआ है और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी ओआरओपी की 10वीं वर्षगांठ पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने इस सुधार को एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा कि ओआरओपी ने यह तय किया कि समान रैंक और सेवा अवधि वाले सभी सैनिकों को समान पेंशन मिले, चाहे उनकी सेवानिवृत्ति तिथि कुछ भी हो। इस सुधार ने 25 लाख से ज्यादा सशस्त्र बल पेंशनधारकों और उनके परिवारों को लाभ पहुंचाया है। उन्होंने यह भी बताया कि ओआरओपी पर अब तक 1.25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए। इसके अलावा ओआरओपी के तहत पेंशन को हर पांच साल में फिर से तय किया जाता है, जिससे हमारे नायकों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और भी मजबूत हो रही है। वन रैंक वन पेंशन का कार्यान्वयन हमारे भूतपूर्व सैनिकों के प्रति सरकार की गंभीरता और संवेदनशीलता को दिखाता है।